शील कल्याणक व्रत: Difference between revisions
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<span class="HindiText"><strong> शील कल्याणक व्रत–</strong>मनुष्यणी, तिर्यंचिनी, देवांगना, अचेतन वस्त्री इन चार प्रकार की स्त्रियों में पाँचों इंद्रियों व मन वचन काय तथा कृत कारित अनुमोदना से गुणा करने पर 180 भंग होते हैं। 360 दिन में एकांतरा क्रम से 180 उपवास पूरा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/34/113 )</span> <span class="GRef">(व्रत विधान संग्रह/पृष्ठ 68)</span> <span class="GRef">(किशन सिंह क्रियाकोश)</span></span><br> | |||
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शील कल्याणक व्रत–मनुष्यणी, तिर्यंचिनी, देवांगना, अचेतन वस्त्री इन चार प्रकार की स्त्रियों में पाँचों इंद्रियों व मन वचन काय तथा कृत कारित अनुमोदना से गुणा करने पर 180 भंग होते हैं। 360 दिन में एकांतरा क्रम से 180 उपवास पूरा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। ( हरिवंशपुराण/34/113 ) (व्रत विधान संग्रह/पृष्ठ 68) (किशन सिंह क्रियाकोश)
अधिक जानकारी के लिये देखें कल्याणक व्रत ।