शून्यवाद: Difference between revisions
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<strong class="HindiText">1. मिथ्या शून्यवाद का स्वरूप</strong> | <strong class="HindiText">1. मिथ्या शून्यवाद का स्वरूप</strong> | ||
<p><span class="SanskritText"> युक्त्यनुशासन/26 व्यतीत-सामान्य - विशेष-भावाद् विश्वाभिलाषार्थविकल्पशून्यम् । खपुष्पवत्स्यादसदेव तत्त्वं प्रबुद्धतत्त्वाद्भवत: परेषाम् ।26।</span> = <span class="HindiText">हे प्रबुद्ध तत्त्व वीर जिन ! आप अनेकांतवादी से भिन्न दूसरों का सर्वथा सामान्य भाव से रहित, सर्वथा विशेष भाव से रहित तथा सामान्यविशेष भाव दोनों से रहित जो तत्त्व है वह संपूर्ण अभिलाषों तथा अर्थ विकल्पों से शून्य होने के कारण आकाशपुष्प के समान अवस्तु ही है। (और भी - देखें [[ बौद्ध दर्शन में महायान ]])।</span></p> | <p><span class="SanskritText"><span class="GRef"> युक्त्यनुशासन/26 </span>व्यतीत-सामान्य - विशेष-भावाद् विश्वाभिलाषार्थविकल्पशून्यम् । खपुष्पवत्स्यादसदेव तत्त्वं प्रबुद्धतत्त्वाद्भवत: परेषाम् ।26।</span> = <span class="HindiText">हे प्रबुद्ध तत्त्व वीर जिन ! आप अनेकांतवादी से भिन्न दूसरों का सर्वथा सामान्य भाव से रहित, सर्वथा विशेष भाव से रहित तथा सामान्यविशेष भाव दोनों से रहित जो तत्त्व है वह संपूर्ण अभिलाषों तथा अर्थ विकल्पों से शून्य होने के कारण आकाशपुष्प के समान अवस्तु ही है। (और भी - देखें [[ बौद्ध दर्शन में महायान ]])।</span></p> | ||
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Revision as of 13:02, 14 October 2020
1. मिथ्या शून्यवाद का स्वरूप
युक्त्यनुशासन/26 व्यतीत-सामान्य - विशेष-भावाद् विश्वाभिलाषार्थविकल्पशून्यम् । खपुष्पवत्स्यादसदेव तत्त्वं प्रबुद्धतत्त्वाद्भवत: परेषाम् ।26। = हे प्रबुद्ध तत्त्व वीर जिन ! आप अनेकांतवादी से भिन्न दूसरों का सर्वथा सामान्य भाव से रहित, सर्वथा विशेष भाव से रहित तथा सामान्यविशेष भाव दोनों से रहित जो तत्त्व है वह संपूर्ण अभिलाषों तथा अर्थ विकल्पों से शून्य होने के कारण आकाशपुष्प के समान अवस्तु ही है। (और भी - देखें बौद्ध दर्शन में महायान )।