षड्ज: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 7: | Line 7: | ||
<div class="HindiText">निषाद, ऋषभ, गांधार, षड्ज, मध्यम, धैवत और पंचम ये सात स्वर तंत्री रूप कंठ से उत्पन्न होते हैं।1। जो स्वर कंठ देश में स्थित होता है, उसे '''षड्ज''' कहते हैं। | <div class="HindiText">निषाद, ऋषभ, गांधार, षड्ज, मध्यम, धैवत और पंचम ये सात स्वर तंत्री रूप कंठ से उत्पन्न होते हैं।1। जो स्वर कंठ देश में स्थित होता है, उसे '''षड्ज''' कहते हैं। | ||
अधिक जानकारी के लिए - देखें [[ स्वर#2 | स्वर-2 ]]। | अधिक जानकारी के लिए - देखें [[स्वर#2 | स्वर-2 ]]। | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 12:45, 9 March 2023
सिद्धांतकोष से
कार्तिकेयानुप्रेक्षा टीका/186/123/1
"निषादर्षभगांधारषड्जमध्यमधैवता:। पंचमश्चैति सप्तैते तंत्रीकंठोत्थिता: स्वरा:।1। कंठदेशे स्थित: षड्ज: शिर:स्थ ऋषभस्तथा।