संमोही भावना: Difference between revisions
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<span class="PrakritText">भ.आ./मू./ | <span class="PrakritText">भ.आ./मू./184/402 उम्मग्गदेसणो मग्गदूसणो मग्गविप्पडिवणी य। मोहेण य मोहिंतो संमोहं भावणं कुणइ।184।</span> =<span class="HindiText">जो मिथ्यात्वादि का उपदेश करने वाला हो, जो सच्चे मार्ग को अर्थात् दर्शन, ज्ञान, चारित्ररूप मोक्षमार्ग को दूषण लगाता हो, जो मार्ग से विरुद्ध मिथ्यामार्ग को चलाता हो, ऐसा साधु मिथ्यात्व तथा मायाचारी से जगत् को मोहता हुआ सम्मोही देवों में उत्पन्न होता है। (मू.आ./67)।</span> | ||
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भ.आ./मू./184/402 उम्मग्गदेसणो मग्गदूसणो मग्गविप्पडिवणी य। मोहेण य मोहिंतो संमोहं भावणं कुणइ।184। =जो मिथ्यात्वादि का उपदेश करने वाला हो, जो सच्चे मार्ग को अर्थात् दर्शन, ज्ञान, चारित्ररूप मोक्षमार्ग को दूषण लगाता हो, जो मार्ग से विरुद्ध मिथ्यामार्ग को चलाता हो, ऐसा साधु मिथ्यात्व तथा मायाचारी से जगत् को मोहता हुआ सम्मोही देवों में उत्पन्न होता है। (मू.आ./67)।