सुषिर प्रायोगिक शब्द: Difference between revisions
From जैनकोष
Komaljain7 (talk | contribs) mNo edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p><span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/5/24/294-295/12 </span><span class="SanskritText">शब्दो द्विविधो भाषालक्षणो विपरीतश्चेति।...अभाषात्मनो द्विविध: प्रायोगिकी वैस्रसिकश्चेति। प्रायोगिकश्चतुर्धा ततविततघनसौषिरभेदात् ।</span><span class="HindiText">= भाषारूप शब्द और अभाषारूप शब्द इस प्रकार शब्दों के दो भेद हैं।...अभाषात्मक शब्द दो प्रकार के हैं-'''प्रायोगिक''' और वैस्रसिक।...तथा तत, वितत, घन और '''सौषिर''' के भेद से प्रायोगिक शब्द चार प्रकार है। </span></p> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ शब्द#2 | शब्द - 2]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 11: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 17:10, 24 February 2024
सर्वार्थसिद्धि/5/24/294-295/12 शब्दो द्विविधो भाषालक्षणो विपरीतश्चेति।...अभाषात्मनो द्विविध: प्रायोगिकी वैस्रसिकश्चेति। प्रायोगिकश्चतुर्धा ततविततघनसौषिरभेदात् ।= भाषारूप शब्द और अभाषारूप शब्द इस प्रकार शब्दों के दो भेद हैं।...अभाषात्मक शब्द दो प्रकार के हैं-प्रायोगिक और वैस्रसिक।...तथा तत, वितत, घन और सौषिर के भेद से प्रायोगिक शब्द चार प्रकार है।
अधिक जानकारी के लिये देखें शब्द - 2।