सूर्यवंश
From जैनकोष
सर्वप्रथम भगवान् आदिनाथ से यह वंश प्रारम्भ हुआ। पीछे इसकी दो शाखाएँ हो गयीं एक सूर्यवंश दूसरी चन्द्रवंश। ( हरिवंशपुराण 13/33 ) सूर्यवंश की शाखा भरत चक्रवर्ती के पुत्र अर्ककीर्ति से प्रारम्भ हुई, क्योंकि अर्क नाम सूर्य का है। (पद्मपुराण - 5.4) इस सूर्यवंश का नाम ही सर्वत्र इक्ष्वाकु वंश प्रसिद्ध है। ( परमात्मप्रकाश 5/261 ) चन्द्रवंश की शाखा बाहुबली के पुत्र सोमयश से प्रारम्भ हुई ( हरिवंशपुराण 13/16 )। इसीका नाम सोमवंश भी है, क्योंकि सोम और चन्द्र एकार्थवाची हैं (पद्मपुराण - 5.12) और भी देखें सामान्य राज्य वंश। इसकी वंशावली निम्नप्रकार है - ( हरिवंशपुराण 13/1-15 ) (पद्मपुराण - 5.4-9)
देखें इतिहास - 9.16।