हरिशर्मा: Difference between revisions
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
राजा दृढ़ग्राही का मित्र । राजा ने जिनदीक्षा ली और यह तापस हो गया था । आयु के अंत में मरकर यह ज्योतिष्क देव हुआ और दृढ़ग्राही सौधर्म स्वर्ग में देव । महापुराण 65.61-65