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- आतम अनुभव आवै जब निज
- आतम अनुभव कीजै हो
- आतम अनुभव सार हो, अब जिय सार हो, प्राणी
- आतम काज सँवारिये, तजि विषय किलोलैं
- आतम जान रे जान रे जान
- आतम जाना, मैं जाना ज्ञानसरूप
- आतम जानो रे भाई!
- आतम महबूब यार, आतम महबूब
- आतम रूप अनूपम अद्भुत
- आतमज्ञान लखैं सुख होइ
- आतमरूप अनूपम है, घटमाहिं विराजै हो
- आतमरूप सुहावना, कोई जानै रे भाई ।
- आत्मानुशासन प्रवचन
- आप भ्रमविनाश आप
- आपा प्रभु जाना मैं जाना
- आप्त परीक्षा प्रवचन
- आप्त मीमांसा प्रवचन
- आयो रे बुढ़ापो मानी, सुधि बुधि बिसरानी
- आरति कीजै श्रीमुनिराजकी, अधमउधारन आतमकाजकी
- आरति श्रीजिनराज तिहारी, करमदलन संतन हितकारी
- आरसी देखत मन आर-सी लागी
- आलाप पद्धति पर प्रवचन
- आवै न भोगनमें तोहि गिलान
- इस जीवको, यों समझाऊं री!
- उत्तम नरभव पायकै
- उरग-सुरग-नरईश शीस जिस, आतपत्र त्रिधरे
- ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो
- ए मेरे मीत! निचीत कहा सोवै
- ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावै
- ऐसा योगी क्यों न अभयपद पावै
- ऐसी समझके सिर धूल
- ऐसे जैनी मुनिमहाराज
- ऐसे विमल भाव जब पावै
- ऐसे साधु सुगुरु कब मिल हैं
- ऐसे साधु सुगुरु कब मिलि हैं
- और अबै न कुदेव सुहावै
- और ठौर क्यों हेरत प्यारा, तेरे हि घट में जानन हारा
- और सबै जगद्वन्द मिटावो
- कबधौं मिलै मोहि श्रीगुरु मुनिवर
- कर कर आतमहित रे प्रानी
- कर मन! निज-आतम-चिंतौन
- कर रे! कर रे! कर रे!, तू आतम हित कर रे
- करौ रे भाई, तत्त्वारथ सरधान
- करौं आरती वर्द्धमानकी । पावापुर निरवान थान की
- कर्मनिको पेलै, ज्ञान दशामें खेलै
- कहा मानले ओ मेरे भैया
- कहे सीताजी सुनो रामचन्द्र
- काया गागरि, जोझरी, तुम देखो चतुर विचार हो
- कारज एक ब्रह्महीसेती
- काल अचानक ही ले जायगा
- काहे पाप करे काहे छल
- काहेको सोचत अति भारी, रे मन!
- कींपर करो जी गुमान
- कुमति कुनारि नहीं है भली रे
- कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो
- खेलौंगी होरी, आये चेतनराय
- गणित कक्षा - सारिकाजी
- गरव नहिं कीजै रे, ऐ नर
- गलतानमता कब आवैगा
- गहु सन्तोष सदा मन रे! जा सम और नहीं धन रे
- गाफिल हुवा कहाँ तू डोले, दिन जाते तेरे भरती में
- गिरिवनवासी मुनिराज
- गुणस्थान कक्षा - सारिकाजी
- गुरु कहत सीख इमि बार बार
- गोम्मटसार कर्मकांड - शिविर (2019)
- गोम्मटसार कर्मकांड पर प्रवचन
- गोम्मटसार जीवकांड - ऑनलाइन शिविर (2020)
- गोम्मटसार जीवकांड - शिविर (2016-18)
- गौतम स्वामीजी मोहि वानी तनक सुनाई
- घटमें परमातम ध्याइये हो, परम धरम धनहेत
- घड़ि-घड़ि पल-पल छिन-छिन निशदिन
- चन्द्रानन जिन चन्द्रनाथ के
- चरखा चलता नाहीं (रे) चरखा हुआ पुराना (वे)
- चारित्रपाहुड गाथा 1
- चारित्रपाहुड गाथा 10
- चारित्रपाहुड गाथा 11
- चारित्रपाहुड गाथा 13
- चारित्रपाहुड गाथा 14
- चारित्रपाहुड गाथा 15
- चारित्रपाहुड गाथा 16
- चारित्रपाहुड गाथा 17
- चारित्रपाहुड गाथा 18
- चारित्रपाहुड गाथा 19
- चारित्रपाहुड गाथा 20
- चारित्रपाहुड गाथा 21
- चारित्रपाहुड गाथा 22
- चारित्रपाहुड गाथा 23
- चारित्रपाहुड गाथा 24
- चारित्रपाहुड गाथा 25
- चारित्रपाहुड गाथा 26
- चारित्रपाहुड गाथा 27
- चारित्रपाहुड गाथा 28
- चारित्रपाहुड गाथा 29
- चारित्रपाहुड गाथा 3
- चारित्रपाहुड गाथा 30
- चारित्रपाहुड गाथा 31
- चारित्रपाहुड गाथा 32
- चारित्रपाहुड गाथा 33
- चारित्रपाहुड गाथा 34
- चारित्रपाहुड गाथा 35