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- Tattvarth Sutra - Chapter 1 - Mangalacharan
- Tattvarth Sutra - Chapter 1 - Sutra 1
- Tattvarth Sutra - Chapter 1 - Sutra 15-20
- Tattvarth Sutra - Chapter 1 - Sutra 2
- Tattvarth Sutra - Chapter 1 - Sutra 21-25
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- अज्ञानी पाप धतूरा न बोय
- अति संक्लेश विशुद्ध शुद्ध पुनि
- अध्यात्म सहस्री प्रवचन
- अध्याहार
- अन्तर उज्जवल करना रे भाई!
- अपनी सुधि भूल आप, आप दुख उपायौ
- अपहृत-संयम
- अप्राप्त शब्द
- अब अघ करत लजाय रे भाई
- अब घर आये चेतनराय
- अब पूरी कर नींदड़ी, सुन जिया रे! चिरकाल
- अब मेरे समकित सावन आयो
- अब मोहि जानि परी
- अब समझ कही
- अरहंत सुमर मन बावरे
- अरिरजरहस हनन प्रभु अरहन
- अरे! हाँ चेतो रे भाई
- अरे जिया, जग धोखे की टाटी
- अरे हाँ रे तैं तो सुधरी बहुत बिगारी
- अरे हो अज्ञानी तूने कठिन मनुषभव पायो
- अरे हो जियरा धर्म में चित्त लगाय रे
- अल्पबहुत्व - प्रकीर्णक प्ररूपणाएँ 1-5
- अहो दोऊ रंग भरे खेलत होरी
- अहो यह उपदेशमाहीं
- आकुलरहित होय इमि निशदिन
- आगै कहा करसी भैया
- आज मैं परम पदारथ पायौ
- आज सी सुहानी सु घड़ी इतनी
- आतम अनुभव आवै जब निज
- आतम अनुभव कीजै हो
- आतम अनुभव सार हो, अब जिय सार हो, प्राणी
- आतम काज सँवारिये, तजि विषय किलोलैं
- आतम जान रे जान रे जान
- आतम जाना, मैं जाना ज्ञानसरूप
- आतम जानो रे भाई!
- आतम महबूब यार, आतम महबूब
- आतम रूप अनूपम अद्भुत
- आतमज्ञान लखैं सुख होइ
- आतमरूप अनूपम है, घटमाहिं विराजै हो
- आतमरूप सुहावना, कोई जानै रे भाई ।
- आत्मानुशासन प्रवचन
- आप भ्रमविनाश आप
- आपा प्रभु जाना मैं जाना
- आप्त परीक्षा प्रवचन
- आप्त मीमांसा प्रवचन
- आयो रे बुढ़ापो मानी, सुधि बुधि बिसरानी
- आरति कीजै श्रीमुनिराजकी, अधमउधारन आतमकाजकी
- आरति श्रीजिनराज तिहारी, करमदलन संतन हितकारी
- आरसी देखत मन आर-सी लागी
- आलाप पद्धति पर प्रवचन
- आवै न भोगनमें तोहि गिलान
- इस जीवको, यों समझाऊं री!
- उत्तम नरभव पायकै
- उरग-सुरग-नरईश शीस जिस, आतपत्र त्रिधरे
- ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो
- ए मेरे मीत! निचीत कहा सोवै
- ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावै
- ऐसा योगी क्यों न अभयपद पावै
- ऐसी समझके सिर धूल
- ऐसे जैनी मुनिमहाराज
- ऐसे विमल भाव जब पावै
- ऐसे साधु सुगुरु कब मिल हैं
- ऐसे साधु सुगुरु कब मिलि हैं
- और अबै न कुदेव सुहावै
- और ठौर क्यों हेरत प्यारा, तेरे हि घट में जानन हारा
- और सबै जगद्वन्द मिटावो
- कबधौं मिलै मोहि श्रीगुरु मुनिवर
- कर कर आतमहित रे प्रानी
- कर मन! निज-आतम-चिंतौन
- कर रे! कर रे! कर रे!, तू आतम हित कर रे
- करौ रे भाई, तत्त्वारथ सरधान
- करौं आरती वर्द्धमानकी । पावापुर निरवान थान की
- कर्मनिको पेलै, ज्ञान दशामें खेलै
- कहा मानले ओ मेरे भैया
- कहे सीताजी सुनो रामचन्द्र
- काया गागरि, जोझरी, तुम देखो चतुर विचार हो
- कारज एक ब्रह्महीसेती
- काल अचानक ही ले जायगा
- काहे पाप करे काहे छल
- काहेको सोचत अति भारी, रे मन!
- कींपर करो जी गुमान
- कुमति कुनारि नहीं है भली रे
- कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो
- खेलौंगी होरी, आये चेतनराय
- गणित कक्षा - सारिकाजी
- गरव नहिं कीजै रे, ऐ नर
- गलतानमता कब आवैगा
- गहु सन्तोष सदा मन रे! जा सम और नहीं धन रे
- गाफिल हुवा कहाँ तू डोले, दिन जाते तेरे भरती में
- गिरिवनवासी मुनिराज
- गुणस्थान कक्षा - सारिकाजी
- गुरु कहत सीख इमि बार बार
- गोम्मटसार कर्मकांड - शिविर (2019)
- गोम्मटसार कर्मकांड पर प्रवचन
- गोम्मटसार जीवकांड - ऑनलाइन शिविर (2020)
- गोम्मटसार जीवकांड - शिविर (2016-18)
- गौतम स्वामीजी मोहि वानी तनक सुनाई
- घटमें परमातम ध्याइये हो, परम धरम धनहेत
- घड़ि-घड़ि पल-पल छिन-छिन निशदिन
- चन्द्रानन जिन चन्द्रनाथ के
- चरखा चलता नाहीं (रे) चरखा हुआ पुराना (वे)
- चारित्रपाहुड गाथा 1
- चारित्रपाहुड गाथा 10
- चारित्रपाहुड गाथा 11
- चारित्रपाहुड गाथा 13
- चारित्रपाहुड गाथा 14
- चारित्रपाहुड गाथा 15
- चारित्रपाहुड गाथा 16
- चारित्रपाहुड गाथा 17
- चारित्रपाहुड गाथा 18
- चारित्रपाहुड गाथा 19
- चारित्रपाहुड गाथा 20
- चारित्रपाहुड गाथा 21
- चारित्रपाहुड गाथा 22
- चारित्रपाहुड गाथा 23
- चारित्रपाहुड गाथा 24
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- चारित्रपाहुड गाथा 26
- चारित्रपाहुड गाथा 27
- चारित्रपाहुड गाथा 28
- चारित्रपाहुड गाथा 29
- चारित्रपाहुड गाथा 3
- चारित्रपाहुड गाथा 30
- चारित्रपाहुड गाथा 31
- चारित्रपाहुड गाथा 32
- चारित्रपाहुड गाथा 33
- चारित्रपाहुड गाथा 34
- चारित्रपाहुड गाथा 35
- चारित्रपाहुड गाथा 36
- चारित्रपाहुड गाथा 37
- चारित्रपाहुड गाथा 38
- चारित्रपाहुड गाथा 39
- चारित्रपाहुड गाथा 4
- चारित्रपाहुड गाथा 40
- चारित्रपाहुड गाथा 41
- चारित्रपाहुड गाथा 42
- चारित्रपाहुड गाथा 43
- चारित्रपाहुड गाथा 44
- चारित्रपाहुड गाथा 45
- चारित्रपाहुड गाथा 5
- चारित्रपाहुड गाथा 6
- चारित्रपाहुड गाथा 7
- चारित्रपाहुड गाथा 8
- चारित्रपाहुड गाथा 9
- चाहत है सुख पै न गाहत है धर्म जीव
- चित चिंतकैं चिदेश कब
- चित्त! चेतनकी यह विरियां रे
- चिदरायगुन सुनो मुनो
- चिन्मूरत दृग्धारी की मोहे
- चेतन! तुम चेतो भाई, तीन जगत के नाथ
- चेतन! मान ले बात हमारी
- चेतन अब धरि सहजसमाधि
- चेतन कौन अनीति गही रे
- चेतन खेलै होरी
- चेतन तैं यौं ही भ्रम ठान्यो
- चेतन निज भ्रमतैं भ्रमत रहै
- चेतन प्राणी चेतिये हो,
- चेतन यह बुधि कौन सयानी
- चेतनजी! तुम जोरत हो धन, सो धन चलत नहीं तुम लार
- चौबीसौं को वंदना हमारी
- छांडत क्यौं नहिं रे
- छांडि दे या बुधि भोरी
- जग में जीवन थोरा, रे अज्ञानी जागि
- जग में श्रद्धानी जीव जीवन मुकत हैंगे
- जगत जन जूवा हारि चले
- जगत में सम्यक उत्तम भाई
- जगदानंदन जिन अभिनंदन
- जपि माला जिनवर नामकी
- जबतैं आनंदजननि दृष्टि परी माई
- जम आन अचानक दावैगा
- जय जय जग-भरम-तिमिर
- जय श्री ऋषभ जिनंदा! नाश तौ करो स्वामी मेरे दुखदंदा
- जयश्यामा
- जहाँ रागद्वेष से रहित निराकुल
- जाऊँ कहाँ तज शरन तिहारे
- जानके सुज्ञानी जैनवानी की सरधा लाइये
- जानत क्यों नहिं रे, हे नर आतमज्ञानी
- जानत क्यौं नहिं रे
- जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा
- जिन के भजन में मगन रहु रे!
- जिन छवि तेरी यह
- जिन छवि लखत यह बुधि भयी
- जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा
- जिन नाम सुमर मन! बावरे! कहा इत उत भटकै
- जिन रागद्वेष त्यागा वह सतगुरु हमारा
- जिन स्वपरहिताहित चीन्हा
- जिनबानी के सुनैसौं मिथ्यात मिटै
- जिनराज चरन मन मति बिसरै
- जिनराज ना विसारो, मति जन्म वादि हारो
- जिनरायके पाय सदा शरनं
- जिनवर-आनन-भान निहारत
- जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय
- जिनवानी जान सुजान रे
- जिनवानी प्रानी! जान लै रे
- जिनवैन सुनत, मोरी भूल भगी
- जियको लोभ महा दुखदाई, जाकी शोभा (?)
- जिया तुम चालो अपने देश
- जीव! तू भ्रमत सदीव अकेला
- जीव! तैं मूढ़पना कित पायो
- जीव तू अनादिहीतैं भूल्यौ शिवगैलवा
- जीवन के परिनामनिकी यह
- जे दिन तुम विवेक बिन खोये
- जे सहज होरी के खिलारी
- जेनैन्द्र सिद्धांत कोष
- जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
- जो आज दिन है वो, कल ना रहेगा, कल ना रहेगा
- जो तैं आतमहित नहिं कीना
- ज्ञाता सोई सच्चा वे, जिन आतम अच्चा
- ज्ञान ज्ञेयमाहिं नाहिं, ज्ञेय हू न ज्ञानमाहिं
- ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन
- ज्ञानी ऐसी होली मचाई
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै 2
- ज्ञानी जीव निवार भरमतम
- झूठा सपना यह संसार
- तन देख्या अथिर घिनावना
- तुम चेतन हो
- तुम ज्ञानविभव फूली बसन्त, यह मन मधुकर
- तुमको कैसे सुख ह्वै मीत!
- तू काहेको करत रति तनमें
- तू तो समझ समझ रे!
- तू स्वरूप जाने बिना दुखी
- तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई
- तेरी भगति बिना धिक है जीवना
- तेरी शांति छवि पे मैं बलि बलि जाऊँ
- तेरी शीतल-शीतल मूरत लख
- तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो
- तेरे ज्ञानावरन दा परदा
- तेरे दर्शन को मन दौड़ा
- तेरे दर्शन से मेरा दिल खिल गया
- तेरो करि लै काज वक्त फिरना
- तेरो संजम बिन रे, नरभव निरफल जाय
- तोकौं सुख नहिं होगा लोभीड़ा!
- तोड़ विषियों से मन जोड़ प्रभु से लगन
- तोरी पल पल निरखें मूरतियाँ
- तोहि समझायो सौ सौ बार
- त्यागो त्यागो मिथ्यातम, दूजो नहीं जाकी सम
- त्रिभुवन आनन्दकारी जिन छवि
- त्रिशला के नन्द तुम्हें वंदना हमारी
- थाँकी कथनी म्हानै
- थांकी तो वानी में हो
- थारा तो वैना में सरधान घणो छै
- दर्शनपाहुड गाथा 1
- दर्शनपाहुड गाथा 10
- दर्शनपाहुड गाथा 11
- दर्शनपाहुड गाथा 12
- दर्शनपाहुड गाथा 13
- दर्शनपाहुड गाथा 14
- दर्शनपाहुड गाथा 15
- दर्शनपाहुड गाथा 16
- दर्शनपाहुड गाथा 17
- दर्शनपाहुड गाथा 18
- दर्शनपाहुड गाथा 19
- दर्शनपाहुड गाथा 2
- दर्शनपाहुड गाथा 20
- दर्शनपाहुड गाथा 21
- दर्शनपाहुड गाथा 22
- दर्शनपाहुड गाथा 23
- दर्शनपाहुड गाथा 24
- दर्शनपाहुड गाथा 25
- दर्शनपाहुड गाथा 26
- दर्शनपाहुड गाथा 27
- दर्शनपाहुड गाथा 28
- दर्शनपाहुड गाथा 29
- दर्शनपाहुड गाथा 3
- दर्शनपाहुड गाथा 30
- दर्शनपाहुड गाथा 31
- दर्शनपाहुड गाथा 32
- दर्शनपाहुड गाथा 33
- दर्शनपाहुड गाथा 34
- दर्शनपाहुड गाथा 35
- दर्शनपाहुड गाथा 36
- दर्शनपाहुड गाथा 4
- दर्शनपाहुड गाथा 5
- दर्शनपाहुड गाथा 6
- दर्शनपाहुड गाथा 7
- दर्शनपाहुड गाथा 8
- दर्शनपाहुड गाथा 9
- दियैं दान महा सुख पावै
- दीठा भागनतैं जिनपाला
- दुरगति गमन निवारिये, घर आव सयाने नाह हो
- देखे सुखी सम्यकवान
- देखो जी आदीश्वर स्वामी कैसा ध्यान लगाया है!
- देखो भाई! आतमदेव बिराजै
- देखो भाई! आतमराम विराजै
- देव-स्तुति — पं. भूधरदासजी
- दौलतरामजी
- द्यानतरायजी
- धन धन जैनी साधु अबाधित
- धन धन साधर्मीजन मिलनकी घरी
- धनि ते प्रानि, जिनके तत्त्वारथ श्रद्धान
- धनि मुनि जिन की लगी लौ शिवओरनै
- धनि मुनि जिन यह, भाव पिछाना
- धनि मुनि निज आतमहित कीना
- धन्य धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है
- धन्य धन्य है घड़ी आजकी
- धर्म बिन कोई नहीं अपना
- धिक! धिक! जीवन समकित बिना
- धोली हो गई रे काली कामली माथा की थारी
- ध्यान कृपान पानि गहि नासी
- ध्यान धर ले प्रभू को ध्यान धर ले
- न मानत यह जिय निपट अनारी
- नगर में होरी हो रही हो
- नरभव पाय फेरि दुख भरना
- नहिं ऐसो जनम बारंबार
- निज कारज काहे न सारै रे
- निज जतन करो गुन-रतननिको, पंचेन्द्रीविषय
- निजपुर में आज मची होरी
- निजहितकारज करना भाई!
- नित उठ ध्याऊँ, गुण गाऊँ, परम दिगम्बर साधु
- नित पीज्यौ धीधारी, जिनवानि
- निपट अयाना, तैं आपा नहीं जाना
- निपट गंवार बीरा! थारी बान बुरी परी रे, बरज्यो मानत नाहिं
- नियमसार प्रवचन - भाग 2 पूर्ण
- निरखत जिनचन्द्र-वदन
- निरखत सुख पायौ जिन मुखचन्द
- निरखी निरखी मनहर मूरत
- निरविकलप जोति प्रकाश रही
- नैननि को वान परी, दरसन की
- पंचाध्यायी प्रवचन
- पंडित राजेंद्रजी, जबलपुर
- पद्मसद्म पद्मापद पद्मा
- परनति सब जीवनकी
- परम दिगम्बर यती, महागुण व्रती, करो निस्तारा
- परमगुरु बरसत ज्ञान झरी
- परमाथ पंथ सदा पकरौ
- परीक्षामुखसूत्र प्रवचन
- परीक्षामुखसूर प्रवचन
- पर्वराज पर्यूषण आया दस धर्मो की ले माला
- पल पल बीते उमरिया रूप जवानी जाती
- पायो जी सुख आतम लखकै
- पिया बिन कैसे खेलौं होरी
- पुलकन्त नयन चकोर पक्षी
- प्यारी लागै म्हाने जिन छवि थारी
- प्रभु! तुम नैनन-गोचर नाहीं
- प्रभु गुन गाय रै, यह औसर फेर न पाय रे
- प्रभु तुम सुमरन ही में तारे
- प्रभु तेरी महिमा किहि मुख गावैं
- प्रभु थारी आज महिमा जानी
- प्रभु दर्शन कर जीवन की, भीड़ भगी मेरे कर्मन की
- प्रवचनसार प्रवचन
- प्राणी! आतमरूप अनूप है, परतैं भिन्न त्रिकाल
- प्राणी! सोऽहं सोऽहं ध्याय हो
- प्राणी लाल! छांडो मन चपलाई
- प्राणी लाल! धरम अगाऊ धारौ
- प्रानी समकित ही शिवपंथा
- प्रेम अब त्यागहु पुद्गल का
- बन्यौ म्हांरै या घरीमैं रंग
- बाबा मैं न काहूका
- बीतत ये दिन नीके, हमको
- बुधजन पक्षपात तज देखो
- बुधजनजी
- बोधपाहुड गाथा 1
- बोधपाहुड गाथा 10
- बोधपाहुड गाथा 11
- बोधपाहुड गाथा 12
- बोधपाहुड गाथा 14
- बोधपाहुड गाथा 15
- बोधपाहुड गाथा 16
- बोधपाहुड गाथा 17
- बोधपाहुड गाथा 18
- बोधपाहुड गाथा 19
- बोधपाहुड गाथा 20
- बोधपाहुड गाथा 21
- बोधपाहुड गाथा 22
- बोधपाहुड गाथा 23
- बोधपाहुड गाथा 24
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- बोधपाहुड गाथा 54
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- बोधपाहुड गाथा 58
- बोधपाहुड गाथा 59
- बोधपाहुड गाथा 6
- बोधपाहुड गाथा 60
- बोधपाहुड गाथा 61
- बोधपाहुड गाथा 62
- बोधपाहुड गाथा 7
- बोधपाहुड गाथा 8
- बोधपाहुड गाथा 9
- ब्र. जीतू भाई, अकलूज
- ब्र. सुजाता ताई, कुम्भोज बाहुबली
- ब्र. सुनीलजी, शिवपुरी
- भक्ति प्रवचन
- भगवन्त भजन क्यों भूला रे
- भज ऋषिपति ऋषभेश
- भजन बिन यौं ही जनम गमायो
- भजो आतमदेव, रे जिय! भजो आतमदेव, लहो
- भली भई यह होरी आई, आये चेतनराय
- भलो चेत्यो वीर नर तू, भलो चेत्यो वीर
- भववनमें, नहीं भूलिये भाई!
- भवि कीजे हो आतमसँभार, राग दोष परिनाम डार
- भवि देखि छबी भगवान की
- भविन-सरोरूहसूर भूरिगुनपूरित अरहंता
- भाई! अब मैं ऐसा जाना
- भाई! कहा देख गरवाना रे
- भाई! ज्ञान बिना दुख पाया रे
- भाई! ज्ञानका राह दुहेला रे 1
- भाई! ज्ञानका राह सुहेला रे 2
- भाई! ज्ञानी सोई कहिये
- भाई! ब्रह्मज्ञान नहिं जाना रे