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- * [[ ग्रन्थ:प्रवचनसार - गाथा 63 - तात्पर्य-वृत्ति ]] ...36 KB (922 words) - 14:03, 23 April 2024
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- [[मोक्षपाहुड़ गाथा 63 | Next Page]] ...3 KB (51 words) - 21:30, 9 December 2013
- [[समयसार - आत्मख्याति टीका - कलश 63 | Next Page]] ...3 KB (57 words) - 15:02, 10 December 2013
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- ...ब्रह्मेंद्र की 500, लांतवेंद्र की 250; महाशुकेंद्र की 125; सहस्रारेंद्र की 63; आनतादि 4 इंद्रों के आत्मरक्ष ...4 KB (84 words) - 22:16, 17 November 2023
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- ...ष्ठ 166/6); (प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 196); (तत्त्वानुशासन श्लोक 63-64)</span></li> ...9 KB (111 words) - 22:16, 17 November 2023
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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:भावपाहुड - गाथा 63 | अगला पृष्ठ ]] ...7 KB (32 words) - 11:56, 17 May 2021
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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:युक्त्यनुशासन - गाथा 63 | अगला पृष्ठ ]] ...14 KB (50 words) - 11:56, 17 May 2021
- <p> <span class="GRef">धवला पुस्तक 6/1,9-1-28/श्लोक 11/63 </span><p class="SanskritText">रसाद्रक्तं ततो म <span class="GRef">धवला पुस्तक 6/1,9-1,28/63/11</span> <p class="PrakritText">पंचवीसकलासयाईं ...39 KB (673 words) - 17:20, 2 February 2024
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- 63-72</p> 63-75</p> ...51 KB (3,942 words) - 14:38, 26 February 2024
- ...तेरहवीं वर्गणा है, इस वर्गणा के पुद्गलस्कंध आठ कर्मों के योग्य होते हैं । (63/14) । <br /> ...40 KB (538 words) - 21:35, 8 January 2024