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- <p><strong>सम्मत्तसंजमासयदुण्हं पि उदेसियं चरणं ।।44।।</strong></p> ...8 KB (31 words) - 11:55, 17 May 2021
- <p><strong>उव्वसु होइ गएण फुडु सो परमप्प हवेइ ।।44।।</strong></p> ...57 KB (114 words) - 11:56, 17 May 2021
- <p><strong>पराऽप्रधृष्या परधर्षिणी च ।।44।।</strong></p> ...7 KB (54 words) - 08:03, 11 December 2021
- <p><strong>दव्वाणतियमधवा दव्वाभावं पकुव्वंति ।।44।।</strong></p> ...10 KB (51 words) - 16:35, 2 July 2021
- <p><strong>णिक्कामो णिक्कोहो णिम्माणो णिम्मदो अप्पा।।44।।</strong></p> ...64 KB (186 words) - 16:34, 2 July 2021
- <p><strong>अत्तावणेण जादो बाहुबली कित्तियं कालं ।꠰44।।</strong></p> ...18 KB (41 words) - 11:56, 17 May 2021
- <p><strong>दोदोसविप्पमुक्को परमप्पा झायए जोई ।।44।।</strong></p> ...34 KB (94 words) - 11:56, 17 May 2021
- तो रयणत्तयमज्झे सम्मगुणक्किट्ठमिदि जिणुद्दिट्ठं।।44।। ...5 KB (14 words) - 11:57, 17 May 2021
- <p><strong>केवलि जिणेहिं भणिया कह ते जीवो त्ति वुच्चंति ।।44।।</strong></p> <p> <strong>44. ज्ञानमात्र अंतस्तत्त्व बोध ...74 KB (142 words) - 11:57, 17 May 2021
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- ...उदित रहने पर तीर्थ की उत्पत्ति हुई।55-56। <span class="GRef">( धवला 9/4,1,44/ गाथा 29/120</span>), <span class="GRef">( कषायपाहु ...2 KB (32 words) - 14:53, 1 March 2024
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- ...आदि हुई तभी तीर्थ की उत्पत्ति समझना चाहिए। <span class="GRef">( धवला 9/4,1,44/ गाथा 29/120)</span>, <span class="GRef">( कषायपाहु ...3 KB (35 words) - 22:35, 17 November 2023
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- ...्छिन्न क्रिया निवृत्ति ध्यान''' कहते हैं <span class="GRef"> (राजवार्तिक/9/44/1/635/11), (चारित्रसार/209/3) </span></span></p> ...3 KB (52 words) - 10:04, 20 February 2024
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- <p> <strong>(44) आत्मशील की उपासना से ही आत्म ...7 KB (37 words) - 11:57, 17 May 2021
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- <span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/44/55</span> <p class="SanskritText">अर्थ ध्येयो द्र ...15 KB (396 words) - 14:39, 27 November 2023
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- ...ीरणाकी स्वामित्व सन्निकर्ष व स्थान प्ररूपणा - देखें धवला पुस्तक संख्या 15/44-97</p> ...41 KB (840 words) - 14:40, 27 November 2023
- <span class="GRef">धवला पुस्तक 1/1,1,1/44/6</span> <p class="SanskritText">अतिशयपूजार्हत् ...29 KB (510 words) - 22:15, 17 November 2023
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- ...आदि हुई तभी तीर्थ की उत्पत्ति समझना चाहिए। <span class="GRef">( धवला 9/4,1,44/ गाथा 29/120)</span>, <span class="GRef">( कषायपाहु ...38 KB (481 words) - 22:27, 17 November 2023
- ...-ममत्वतनुधनकलादिभि: शून्योऽहम् । इति शून्यध्यानयुक्त: न लिप्यते पुण्यपापेन।44। शुद्धात्मा तनुमात्र: ज्ञान ...्य हूँ इस प्रकार के शून्य ध्यान से युक्त योगी पुण्य पाप से लिप्त नहीं होता।44। ‘मैं शुद्धात्मा हूँ, शरीर ...58 KB (690 words) - 10:05, 1 August 2023
- ...24 KB (410 words) - 10:47, 17 February 2024
- <p> <strong>(44) उत्पन्न, सत् होकर चित्तक्षण ...20 KB (88 words) - 11:56, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षपाहुड - गाथा 44 | पूर्व पृष्ठ ]] ...16 KB (51 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...वींद्रियादारभ्य आ अयोगिकेवलिन: <span class="GRef">( षट्खंडागम 1/101/ सूत्र 44/175</span>)।’’ तस्मान्न चलनाचलन <span class="GRef"> धवला 1/1,1,44/276/1 </span><span class="SanskritText">स्थावरकर्मण: ...31 KB (526 words) - 16:56, 27 February 2024
- <span class="GRef"> कषायपाहुड़/1/1-1/44/616 </span><span class="PrakritText"> अकट्टिमत्तदो ...के होने पर कर्म का विनाश अवश्य होता है। <span class="GRef">( धवला 9/4, 1/44/117/9 )</span>।</span></li> ...45 KB (542 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...्रियों का लिंग सावरण कहा गया है ।2 । <span class="GRef">(योगसार/अमितगति/8/44)</span> । <br /> ...27 KB (407 words) - 15:30, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:युक्त्यनुशासन - गाथा 44 | अगला पृष्ठ ]] ...21 KB (61 words) - 07:45, 11 December 2021
- ...13 KB (103 words) - 11:57, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:समयसार - गाथा 44 | अगला पृष्ठ ]] ...17 KB (52 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...मुहूर्त मात्र शेष रहता है तब केवली समुद्घात करते हैं। ( सर्वार्थसिद्धि/9/44/457/1 ); ( धवला 13/5,4,26/84/1 ); ( क्षपणासार/62 ...51 KB (603 words) - 19:21, 14 October 2022
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- ...टीका 9 में उद्धृत)</span>, <span class="GRef">( अनगार धर्मामृत अधिकार 7/40/44)</span></p> ...39 KB (532 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...<td width="372" valign="top"><p><span class="HindiText">रुचकवर पर्वत के 44 कूट </span></p></td> ...91 KB (8,800 words) - 15:25, 27 November 2023
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- <p> <strong>(44) प्रभु में विकृत कृत्य का अभा ...23 KB (62 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...प्रायोग्यता और करण ये पाँच लब्धि हैं। <span class="GRef"> (लब्धिसार/मूल/3/44), (गोम्मटसार जीवकांड/651/1100) </span><br / ...की प्राप्ति का नाम विशुद्धि लब्धि है। <span class="GRef"> (लब्धिसार/ मूल/5/44)</span><br /> ...72 KB (1,613 words) - 15:21, 27 November 2023
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- ...ये दोनों ही अनुमान के अंग है, उदाहरण नहीं ॥37॥ न ही उपनय व निगमन अंग हैं ॥44॥ क्योंकि बाल व्युत्पत्ति के ...46 KB (788 words) - 14:37, 30 October 2022
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- ...्वीपपण्णत्तिसंगहो/13/78-79 )</span> <span class="GRef">( द्रव्यसंग्रह टीका/44/188/2 )</span>।</span></p> ...100 KB (1,663 words) - 22:35, 17 November 2023
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- ...ass="GRef">( हरिवंशपुराण/7/1-161 )</span>; <span class="GRef">( धवला/9/4,1,44/109-113 )</span>; <span class="GRef">( महापुराण/22/77-312 ) ...41 KB (1,325 words) - 19:02, 29 November 2023
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- ...वरूप होने से कल्पना मात्र बनकर रह जायेगा। <span class="GRef">( पंचास्तिकाय/44-45 )</span> <span class="GRef">( राजवार्तिक/5/2/9/439/ ...148 KB (3,763 words) - 15:11, 27 November 2023
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- ...ि/4/316), (तिलोयपण्णत्ति/4/1555-1556), (कषायपाहुड़ 1/56/74/3), (धवला 9/4,1,44/119/10) </span></li> ...100 KB (4,607 words) - 14:40, 27 November 2023
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- ...f">( बोधपाहुड़/ मूल/34)</span>; <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/1/44 )</span>; <span class="GRef">( सर्वार्थसिद्धि/8 ...76 KB (1,181 words) - 15:12, 27 November 2023
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