हेतुवाद: Difference between revisions
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देखें [[ हेतु | <p><span class="GRef"> धवला 13/5,5,50/287/5 </span><span class="SanskritText">हिनोति गमयति परिच्छिनत्त्यर्थमात्मानं चेति प्रमाणपंचकं वा हेतु:। स उच्यते कथ्यते अनेनेति हेतुवाद: श्रुतज्ञानम् ।</span> =<span class="HindiText">जो अर्थ और आत्मा का ‘हिनोति’ अर्थात् ज्ञान कराता है उस प्रमाण पंचक को हेतु कहा जाता है। उक्त हेतु जिसके द्वारा ‘उच्यते’ अर्थात् कहा जाता है वह श्रुतज्ञान '''हेतुवाद''' कहलाता है।</span></p> | ||
<span class="HindiText"> हेतु के विषय में जानकारी के लिये देखें [[ हेतु ]]।</span> | |||
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Latest revision as of 15:06, 30 November 2022
धवला 13/5,5,50/287/5 हिनोति गमयति परिच्छिनत्त्यर्थमात्मानं चेति प्रमाणपंचकं वा हेतु:। स उच्यते कथ्यते अनेनेति हेतुवाद: श्रुतज्ञानम् । =जो अर्थ और आत्मा का ‘हिनोति’ अर्थात् ज्ञान कराता है उस प्रमाण पंचक को हेतु कहा जाता है। उक्त हेतु जिसके द्वारा ‘उच्यते’ अर्थात् कहा जाता है वह श्रुतज्ञान हेतुवाद कहलाता है।
हेतु के विषय में जानकारी के लिये देखें हेतु ।