अर्थ संदृष्टि: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(9 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText"> आचार्य नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती (इ.663-713) कृत गोमट्टसार, लब्धिसार व क्षपणसार इन तीनों ग्रंथों में प्रयुक्त गणित के आधार पर पं. टोडरमल्ल ने तीनों संबंधी तीन अर्थ संदृष्टियाँ रची हैं। समय-लगभग वि. 1814 ई.1757 </p> | |||
( | <p><span class="GRef">(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 4/886)</span>।</big></p> | ||
[[Category:अ]] | |||
[[Category: | |||
[[Category: | <noinclude> | ||
[[ अर्थ शुद्धि | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ अर्थ सम्यक्त्व | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: अ]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] | |||
[[Category: इतिहास]] |
Latest revision as of 22:15, 17 November 2023
आचार्य नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती (इ.663-713) कृत गोमट्टसार, लब्धिसार व क्षपणसार इन तीनों ग्रंथों में प्रयुक्त गणित के आधार पर पं. टोडरमल्ल ने तीनों संबंधी तीन अर्थ संदृष्टियाँ रची हैं। समय-लगभग वि. 1814 ई.1757
(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 4/886)।