अशय्याराघिनी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> परमकल्याण रूप और अनेक मंत्रों से परिष्कृत एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.70-73 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> परमकल्याण रूप और अनेक मंत्रों से परिष्कृत एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#70|हरिवंशपुराण - 22.70-73]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
परमकल्याण रूप और अनेक मंत्रों से परिष्कृत एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । हरिवंशपुराण - 22.70-73