यत्याचार: Difference between revisions
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Revision as of 23:25, 5 October 2014
- आ. पद्मनन्दि ७ (ई. १३०५) की एक रचना।
- यतियों अर्थात् साधुओं के आचार-विचार को यत्याचार कहा जाता है, वा जिसमें यतियों के आचारादि का वर्णन किया गया है, ऐसे मूलाचार, भगवती आराधना, अनगार धर्मामृत आदि ग्रन्थों को भी यत्याचार कहा जाता है।