सिंहेंदु: Difference between revisions
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<p> व्याघ्रपुर नगर के राजा सुकांत का पुत्र, शीला का भाई । पिता के मरने पर द्युति शत्रु ने इन पर आक्रमण किया था, जिससे भयभीत होकर यह पत्नी सहित सुरंग से निकल भागा था । वन में सर्प के द्वारा डस लिए जाने पर इसकी स्त्री इसे महावृद्धि के धारक मय नामक मुनि के पास ले गई तथा उसने मुनि के चरणों का स्पर्श कर जैसे ही इसके शरीर का स्पर्श किया कि उसका विष दूर हो गया । पूर्वभव में यह पोदनपुर में गोवाणिज गृहस्थ था । इसकी भुजपत्रा स्त्री थी । इन दोनों ने पूर्वभव में पशुओं पर अधिक भार लादकर | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> व्याघ्रपुर नगर के राजा सुकांत का पुत्र, शीला का भाई । पिता के मरने पर द्युति शत्रु ने इन पर आक्रमण किया था, जिससे भयभीत होकर यह पत्नी सहित सुरंग से निकल भागा था । वन में सर्प के द्वारा डस लिए जाने पर इसकी स्त्री इसे महावृद्धि के धारक मय नामक मुनि के पास ले गई तथा उसने मुनि के चरणों का स्पर्श कर जैसे ही इसके शरीर का स्पर्श किया कि उसका विष दूर हो गया । पूर्वभव में यह पोदनपुर में गोवाणिज गृहस्थ था । इसकी भुजपत्रा स्त्री थी । इन दोनों ने पूर्वभव में पशुओं पर अधिक भार लादकर पीड़ा पहुंचाई थी इसीलिए इन्हें वन में तंबोलिये का मार उठाना पड़ा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_80#173|पद्मपुराण - 80.173-182]], 200-201 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
व्याघ्रपुर नगर के राजा सुकांत का पुत्र, शीला का भाई । पिता के मरने पर द्युति शत्रु ने इन पर आक्रमण किया था, जिससे भयभीत होकर यह पत्नी सहित सुरंग से निकल भागा था । वन में सर्प के द्वारा डस लिए जाने पर इसकी स्त्री इसे महावृद्धि के धारक मय नामक मुनि के पास ले गई तथा उसने मुनि के चरणों का स्पर्श कर जैसे ही इसके शरीर का स्पर्श किया कि उसका विष दूर हो गया । पूर्वभव में यह पोदनपुर में गोवाणिज गृहस्थ था । इसकी भुजपत्रा स्त्री थी । इन दोनों ने पूर्वभव में पशुओं पर अधिक भार लादकर पीड़ा पहुंचाई थी इसीलिए इन्हें वन में तंबोलिये का मार उठाना पड़ा था । पद्मपुराण - 80.173-182, 200-201