सूक्ष्मदर्शी: Difference between revisions
From जैनकोष
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText"> सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 216 </span></p> | <p class="HindiText"> सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 216 </span></p> | ||
<p class="HindiText">सूक्ष्मनिगोदियालब्ध्यपर्याप्तक― एकेंद्रिय जीवों का एक भेद । इनका शरीर अंगुल के असंख्यातवें भाग बराबर होता है और उत्पन्न होने के तीसरे समय में वह जघन्य अवगाहना रूप होता है । उत्कृष्ट अवगाहना एक योजन और एक कोश की होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.73-75 </span></p> | <p class="HindiText">सूक्ष्मनिगोदियालब्ध्यपर्याप्तक― एकेंद्रिय जीवों का एक भेद । इनका शरीर अंगुल के असंख्यातवें भाग बराबर होता है और उत्पन्न होने के तीसरे समय में वह जघन्य अवगाहना रूप होता है । उत्कृष्ट अवगाहना एक योजन और एक कोश की होती है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#73|हरिवंशपुराण - 58.73-75]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 216
सूक्ष्मनिगोदियालब्ध्यपर्याप्तक― एकेंद्रिय जीवों का एक भेद । इनका शरीर अंगुल के असंख्यातवें भाग बराबर होता है और उत्पन्न होने के तीसरे समय में वह जघन्य अवगाहना रूप होता है । उत्कृष्ट अवगाहना एक योजन और एक कोश की होती है । हरिवंशपुराण - 58.73-75