यथाख्यातचारित्र: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page यथाख्यातचारित्र to यथाख्यातचारित्र without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
No edit summary |
||
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> मोहनीय कर्म का उपशम अथवा क्षय होने पर प्राप्त आत्मा का शुद्ध स्वरूप । इसे मोक्ष का साधन कहा है यह कषाय रहित अवस्था में उत्पन्न होता है । महापुराण 47.247, हरिवंशपुराण 56. 78, 64.19</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> मोहनीय कर्म का उपशम अथवा क्षय होने पर प्राप्त आत्मा का शुद्ध स्वरूप । इसे मोक्ष का साधन कहा है यह कषाय रहित अवस्था में उत्पन्न होता है । <span class="GRef"> महापुराण 47.247, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_56#78|हरिवंशपुराण - 56.78]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_64#19|64.19]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ यथाख्यात चारित्र | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ यथाजात | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: य]] | [[Category: य]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 09:53, 24 January 2024
मोहनीय कर्म का उपशम अथवा क्षय होने पर प्राप्त आत्मा का शुद्ध स्वरूप । इसे मोक्ष का साधन कहा है यह कषाय रहित अवस्था में उत्पन्न होता है । महापुराण 47.247, हरिवंशपुराण - 56.78, 64.19