पंचविंशतिकल्याणभावनाव्रत: Difference between revisions
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ह. पु./३४/११३-११६ पचीस कल्याण भावनाएँ हैं, उन्हें लक्ष्यकर पचीस उपवास करना तथा उपवास के बाद पारणा करना, यह पंचविंशतिकल्याणभावनाव्रत है। ११३। १.सम्यक्त्व, २.विनय, ३.ज्ञान, ४.शील, ५.सत्य, ६.श्रुत, ७.समिति, ८.एकान्त, ९.गुप्ति, १०.ध्यान, ११.शुक्लध्यान, १२.संक्लेशनिरोध, १३.इच्छानिरोध, १४.संवर, १५.प्रशस्तयोग, १६.संवेग, १७.करुणा, १८.उद्वेग, १९.भोगनिर्वेद, २०.संसारनिर्वेद, २१.भुक्तिवैराग्य, २२.मोक्ष, २३.मैत्री, २४.उपेक्षा और २५. प्रमोदभावना - ये पचीस कल्याण भावनाएँ हैं। ११४-११६।