पद्मरथ: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(No difference)
|
Revision as of 17:20, 27 February 2015
- म. पु/90/श्लोक नं धातकीखण्ड में अरिष्ट नगरी का राजा था (2-3)। धनरथ पुत्र को राज्य देकर दीक्षित हो गया। तथा ग्यारह अंगों का पाठी हो तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया (11)। अन्त में सल्लेखना पूर्वक मरण कर अच्युत स्वर्ग में इन्द्रपद प्राप्त किया (12) यह अनन्तनाथ भगवान् का दूसरा भव है—दे0 अनन्तनाथ।
- ह. पु./2व/श्लोक नं हस्तिनापुर में महापद्म चक्रवर्ती का पुत्र तथा विष्णुकुतार का बड़ा भाई था (14)। इन्होंने ही सिंहबल राजो को पकड़ लाने से प्रसन्न होकर बलि आदि मन्त्रियों कोवर दिया था (१७)। इसी वर के रूप में बलि आदि मन्त्रियों ने सात दिन का राज्य लेकर अकम्पनाचार्यादि सात सौ मुनियों पर उपसर्ग किया था (२२)।