हेमचंद: Difference between revisions
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Revision as of 19:15, 31 January 2016
- काष्ठा संघ की गुर्वावली के अनुसार (देखें - इतिहास ) आप कुमारसेन (काष्ठा संघ के संस्थापक) के शिष्य तथा पद्मनन्दि के गुरु थे। समय-वि.९८०, (ई.९२३) - देखें - इतिहास / ७ / ९ ।
- गुजरात के धंधुग्राम में चच्चनामक वैश्य के पुत्र थे। बचपन का नाम चंगदेव था। पाँच वर्ष की आयु में देवचन्द्र गणी से दीक्षा ग्रहण की। तब इनका नाम हेमचन्द्र रखा गया और सोमदेव की उपाधि से विभूषित हुए। ये श्वेताम्बराचार्य थे। कृतियाँ - गुजराती व्याकरण, सिद्ध हेम शब्दानुशासन, प्राकृत व्याकरण, अभिधान चिन्मामणि कोष (हैमी नाममाला), अनेकार्थसंग्रह, देशीनाममाला, काव्यानुशासन, छन्दानुशासन, प्रमाणमीमांसा, अन्ययोग व्यवच्छेद (द्वात्रिंशतिका स्याद्वाद मञ्जरी) अयोग व्यवच्छेद द्वात्रिंशतिका, अध्यात्मोपनिषद्, योगशास्त्र, द्वयाश्रय महाकाव्य, निघंटुशेष, वीतरागस्तोत्र, अन्तरश्लोक (द्वादशानुप्रेक्षा), त्रिषष्टि पुरुष चरित। समय - ई.१०८८-११७३। (सि.वि./४२ पं.महेन्द्र) (प.प्र./प्र.७४,११७,A.N.Up. (का.अ./प्र.१७ A.N.Up.)।