संकट हरण व्रत: Difference between revisions
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Revision as of 15:15, 25 April 2016
तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्रमास में शु.१३ से शु.१५ तक उपवास। तथा 'ओं ह्राँ, ह्रीं ह्रूँ ह्रों ह्र: असि आ उसा सर्व शान्ति कुरु कुरु स्वाहा' इस मंत्र का त्रिकाल जप करे। (व्रत विधान सं./४२)।