सिंहसेन: Difference between revisions
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Revision as of 16:15, 25 April 2016
- पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप सुधर्मसेन के शिष्य तथा सुनन्दिषेण के गुरु थे।- देखें - इतिहास / ५ / ८ ।
- (म.पु./५९/श्लो.भरत क्षेत्र में सिंहपुर का राजा था (१४६) इनके मन्त्री ने वैर से सर्प बनकर इसको खा लिया (१९३) यह मरकर सल्लकी वन में हाथी हुआ (१९७)। यह संजयन्त मुनि का पूर्व का सातवाँ भव है।-दे.'संजयन्त'।