याज्ञवल्क्य: Difference between revisions
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Revision as of 15:08, 13 May 2020
एक परिव्राजक । बनारस के सोमशर्मा ब्राह्मण की पुत्री सुलसा परिव्राजिका को शास्त्रार्थ में पराजित करने यह बनारस आया था । उसमें यह सफल हुआ । सुलसा इसकी पत्नी हुई । इसके एक पुत्र हुआ जिसे यह एक पीपल के पेड़ के नीचे छोडकर पत्नी के साथ अन्यत्र चला गया था । सुलसा की बडी बहिन भद्रा ने इसका पालन किया और उसका नाम ‘पिप्पलाद’ रखा था । अपनी मौसी भद्रा से अपना जन्म वृत्त ज्ञातकर पिप्पलाद ने मातृपितृ सेवा नाम का यज्ञ चलाकर तथा उसे कराकर अपने जन्मदाता इस पिता और माता सुलसा दोनों को मार डाला था । हरिवंशपुराण 21. 131-146