स्पर्शनक्रिया: Difference between revisions
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Revision as of 15:17, 13 May 2020
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में कर्मबन्ध की कारणभूत एक क्रिया-अत्यधिक प्रमादी होकर स्पर्श योग्य पदार्थ का बार-बार चिन्तन करना । हरिवंशपुराण 58.70