दंडक: Difference between revisions
From जैनकोष
(No difference)
|
Revision as of 16:31, 5 July 2020
(1) कर्मकुण्डल नगर का राजा । इसकी रानी परिव्राजकों की भक्त थी । एक समय इस राजा ने ध्यानस्थ एक दिगम्बर मुनि के गले मे मृत सर्प डलवा दिया था, जिसे बहुत समय तक मुनि के गले में ज्यों का त्यों डला देखकर वह बहुत प्रभावित हुआ था । राजा की मुनि भक्ति से रानी का गुप्त प्रेमी परिव्राजक असंतुष्ट हुआ । उसने निर्ग्रन्थ होकर रानी के साथ व्यभिचार किया । कृत्रिम मुनि के इस कुकृत्य से कुपित होकर इस नृप ने समस्त मुनियों को धानी मे पिलवा दिया था । एक मुनि अन्यत्र चले जाने से मरण से बच गये थे । राजा के इस घृणित कृत्य को देखकर मुनिवर को क्रोध आ गया और उनके मुख से हा निकला कि अग्नि प्रकट हो गयी और उससे सब कुछ भस्म हो गया । पद्मपुराण 41. 58
(2) दक्षिण का एक पर्वत । पद्मपुराण 42.87-88
(3) दण्डक देश का एक राजा । पद्मपुराण 41.92 देखें दण्डकारण्य