योगसार - संवर-अधिकार गाथा 215: Difference between revisions
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पर्याय एवं द्रव्य अपेक्षा का उदाहरण -
मनुष्य: कुरुते पुण्यं देवो वेदयते फलम् ।
आत्मा वा कुरुते पुण्यमात्मा वेदयते फलम् ।।२१५।।
अन्वय :- (यथा) मनुष्य: पुण्यं कुरुते देव: फलं वेदयते । वा आत्मा पुण्यं कुरुते आत्मा (एव) फलं वेदयते ।
सरलार्थ :- जैसे मनुष्य पुण्य कर्म करता है और देव उसका फल भोगता है अथवा आत्मा पुण्य-कर्म करता है और आत्मा ही उसके फल को भोगता है ।