इन्द्रक: Difference between revisions
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
(1) रत्नप्रभा आदि पृथिवियों के पटलों के मध्य मे स्थित बिल । इन बिलों की चारों दिशाओं और विदिशाओं में श्रेणीबद्ध बिल होते हैं । आगे ये बिल त्रिकोण तथा तीन द्वारों से युक्त होते हैं । इन्हें इन्द्रक निगोद भी कहा गया है । हरिवंशपुराण 4.86, 103, 352
(2) अच्युतेन्द्र के 159 विमानों मे एक विमान । महापुराण 10.186-187