इष्टवियोगज: Difference between revisions
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
आर्त्तध्यान का प्रथम भेद । आर्त्तध्यानी इष्ट वस्तु का वियोग होने पर उसके सयोग के लिए बार-बार चिन्तन करता है । पद्मपुराण 21.31-36