चंद्रलेखा: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page चन्द्रलेखा to चन्द्रलेखा without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> दधिमुख नगर के राजा गन्धर्व और उसकी रानी अमरा की ज्येष्ठ पुत्री । यह अपनी दोनों छोटी बहिनों | <p> दधिमुख नगर के राजा गन्धर्व और उसकी रानी अमरा की ज्येष्ठ पुत्री । यह अपनी दोनों छोटी बहिनों विद्युत्प्रभा और तरंगमाला के साथ विद्यासिद्धि मे संलग्न थी । पूर्व वैर वश अंगारकेतु</p> | ||
<p>विद्याधर ने इनके ऊपर घोर उपसर्ग किये थे । इन्होंने उपसर्गों को सहन किया जिससे छ: वर्ष से भी अधिक समय में सिद्ध होने वाली वह विद्या बारह दिन में ही सिद्ध हो गयी । पद्मपुराण 51. 25-26, 37-40, 47-48</p> | <p>विद्याधर ने इनके ऊपर घोर उपसर्ग किये थे । इन्होंने उपसर्गों को सहन किया जिससे छ: वर्ष से भी अधिक समय में सिद्ध होने वाली वह विद्या बारह दिन में ही सिद्ध हो गयी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 51. 25-26, 37-40, 47-48 </span></p> | ||
Line 6: | Line 6: | ||
[[ चन्द्ररश्मि | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ चन्द्ररश्मि | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ चन्द्रवती | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] |
Revision as of 21:40, 5 July 2020
दधिमुख नगर के राजा गन्धर्व और उसकी रानी अमरा की ज्येष्ठ पुत्री । यह अपनी दोनों छोटी बहिनों विद्युत्प्रभा और तरंगमाला के साथ विद्यासिद्धि मे संलग्न थी । पूर्व वैर वश अंगारकेतु
विद्याधर ने इनके ऊपर घोर उपसर्ग किये थे । इन्होंने उपसर्गों को सहन किया जिससे छ: वर्ष से भी अधिक समय में सिद्ध होने वाली वह विद्या बारह दिन में ही सिद्ध हो गयी । पद्मपुराण 51. 25-26, 37-40, 47-48