योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 74: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
धर्मादि द्रव्यों का उपकार - | <p class="Utthanika">धर्मादि द्रव्यों का उपकार -</p> | ||
<p class="SanskritGatha"> | <p class="SanskritGatha"> | ||
जीवानां पुद्गलानां च धर्माधर्मौ गतिस्थिती ।<br> | जीवानां पुद्गलानां च धर्माधर्मौ गतिस्थिती ।<br> | ||
Line 6: | Line 5: | ||
</p> | </p> | ||
<p><b> अन्वय </b>:- धर्म-अधर्मौ जीवानां पुद्गलानां गति-स्थिती, नभ: अवकाशं, काल: वर्तनां सदा कुरुते । </p> | <p class="GathaAnvaya"><b> अन्वय </b>:- धर्म-अधर्मौ जीवानां पुद्गलानां गति-स्थिती, नभ: अवकाशं, काल: वर्तनां सदा कुरुते । </p> | ||
<p><b> सरलार्थ </b>:- धर्मद्रव्य, जीव और पुद्गलों को गमन करने में सदा उपकार करता है । अधर्मद्रव्य, जीव और पुद्गलों को स्थिर रहने में सदा उपकार करता है । आकाशद्रव्य जीवादि सर्व द्रव्यों को जगह/स्थान देने में सदा उपकार करता है । कालद्रव्य जीवादि सर्व द्रव्यों को परिवर्तन करने/बदलने में सदा उपकार करता है । </p> | <p class="GathaArth"><b> सरलार्थ </b>:- धर्मद्रव्य, जीव और पुद्गलों को गमन करने में सदा उपकार करता है । अधर्मद्रव्य, जीव और पुद्गलों को स्थिर रहने में सदा उपकार करता है । आकाशद्रव्य जीवादि सर्व द्रव्यों को जगह/स्थान देने में सदा उपकार करता है । कालद्रव्य जीवादि सर्व द्रव्यों को परिवर्तन करने/बदलने में सदा उपकार करता है । </p> | ||
<p class="GathaLinks"> | <p class="GathaLinks"> | ||
[[योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 73 | पिछली गाथा]] | [[योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 73 | पिछली गाथा]] |
Latest revision as of 10:15, 15 May 2009
धर्मादि द्रव्यों का उपकार -
जीवानां पुद्गलानां च धर्माधर्मौ गतिस्थिती ।
अवकाशं नभ: कालो वर्तनां कुरुते सदा ।।७४।।
अन्वय :- धर्म-अधर्मौ जीवानां पुद्गलानां गति-स्थिती, नभ: अवकाशं, काल: वर्तनां सदा कुरुते ।
सरलार्थ :- धर्मद्रव्य, जीव और पुद्गलों को गमन करने में सदा उपकार करता है । अधर्मद्रव्य, जीव और पुद्गलों को स्थिर रहने में सदा उपकार करता है । आकाशद्रव्य जीवादि सर्व द्रव्यों को जगह/स्थान देने में सदा उपकार करता है । कालद्रव्य जीवादि सर्व द्रव्यों को परिवर्तन करने/बदलने में सदा उपकार करता है ।