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<p id="3">(3) मथुरा नगरी के राजा अनंतवीर्य और रानी अमितवती का पुत्र । मेरु इसका बड़ा भाई था । ये दोनों भाई निकटभव्य थे । दोनों ने विमलनाथ तीर्थंकर से अपने पूर्वभव सुनकर उनसे दीक्षा ग्रहण कर ली थी तथा उन्हीं के दोनों गणधर होकर मोक्ष गये । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>के अनुसार इसके पिता का नाम रत्नवीर्य और माता का नाम अमितप्रभा था । <span class="GRef"> महापुराण 19.302-304, 310-312 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>27.136 </p> | |||
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<p id="8">(8) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ के सद्गृहस्थ प्रियनंदी के पुत्र दमयंत ने सप्त गुणों से युक्त होकर साधुओं की पारणा करायी थी । अनेक सद्गतियों को प्राप्त करके मोक्ष पाने वाला दमयंत यहीं के निवासी एक सद्गृहस्थ प्रियनंदी का पुत्र था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17. 141-165 </span>देखें [[ दमयंत ]]</p> | |||
<p id="9">(9) सीता-स्वयंवर में सम्मिलित एक नृप । <span class="GRef"> पद्मपुराण 28.215, 54.34-36 </span></p> | |||
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Revision as of 16:33, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- सुमेरु पर्वत का अपर नाम–देखें सुमेरु - 2।
- पूर्व पुष्करार्ध का मेरु–देखें लोक - 4.4
- पूर्व विदेह का एक वक्षार पर्वत–देखें लोक - 5.3।
- नंदन वन का, कुंडल पर्वत का तथा रुचक पर्वत का कूट–देखें लोक - 5.5,12,13
- विजयार्धकीउत्तर श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर - 5।
- ( महापुराण/59/ श्लो.नं.)–पूर्वभवों में क्रमसे–वारुणी, पूर्णचंद्र, वैडूर्यदेव, यशोधरा, कापिष्ठ स्वर्ग में रुचकप्रभदेव, रत्नायुध देव, द्वितीय नरक, श्रीधर्मा, ब्रह्मस्वर्ग का देव, जयंत तथा धरणेंद्र होते हुए वर्तमान में विमलनाथ भगवान् के गणधर हुए (310-312)।
पुराणकोष से
(1) सुमेरु पर्वत का अपर नाम । यह जंबूद्वीप के मध्य में स्थित है । महापुराण 51. 2, पद्मपुराण 82.6-8, हरिवंशपुराण 2.40, 4.11
(2) राजा जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.35
(3) मथुरा नगरी के राजा अनंतवीर्य और रानी अमितवती का पुत्र । मेरु इसका बड़ा भाई था । ये दोनों भाई निकटभव्य थे । दोनों ने विमलनाथ तीर्थंकर से अपने पूर्वभव सुनकर उनसे दीक्षा ग्रहण कर ली थी तथा उन्हीं के दोनों गणधर होकर मोक्ष गये । हरिवंशपुराण के अनुसार इसके पिता का नाम रत्नवीर्य और माता का नाम अमितप्रभा था । महापुराण 19.302-304, 310-312 हरिवंशपुराण 27.136
(4) कुरुवंशी एक नृप । यह राजा ज्ञात का पुत्र तथा श्रीचंद्र का पिता था । हरिवंशपुराण 45.11-12
(5) मेरु की पूर्वोत्तर दिशा में स्थित नंदन वन का दूसरा कूट । हरिवंशपुराण 5.329
(6) रुचक्रगिरि को दक्षिण दिशा के आठ कूटों में तीसरा कूट । यहाँँ सुप्रबुद्धा देवी रहती है । हरिवंशपुराण 5.708
(7) वानरवंशी राजा मेरु का पुत्र तथा समीरणगति का पिता । पद्मपुराण 6.161
(8) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ के सद्गृहस्थ प्रियनंदी के पुत्र दमयंत ने सप्त गुणों से युक्त होकर साधुओं की पारणा करायी थी । अनेक सद्गतियों को प्राप्त करके मोक्ष पाने वाला दमयंत यहीं के निवासी एक सद्गृहस्थ प्रियनंदी का पुत्र था । पद्मपुराण 17. 141-165 देखें दमयंत
(9) सीता-स्वयंवर में सम्मिलित एक नृप । पद्मपुराण 28.215, 54.34-36