औदार्यचिंतामणि: Difference between revisions
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भट्टारक श्रुतसागर (वि. १५४४-१५५६) द्वारा रचित ४५८ सूत्रबद्ध प्राकृत व्याकरण
(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृष्ठ संख्या ३/३९८)।