कौशांब: Difference between revisions
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<p> एक भयंकर वन । द्वारावती नगरी के विनाश की तथा जरत्कुमार के निमित्त से कृष्ण की मृत्यु होने की नेमिनाथ द्वारा भविष्यवाणी सुनकर जरत्कुमार ने इसी वन का आश्रय लिया था । यहीं अपने अंत समय में बलराम और कृष्ण आये थे । कृष्ण यहाँ लेट गये थे । जरत्कुमार ने उन्हें एक मृग समझकर उन पर बाण छोड़ दिया । उसी से उनकी मृत्यु हुई । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 62. 15-61, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22. 81-84 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> एक भयंकर वन । द्वारावती नगरी के विनाश की तथा जरत्कुमार के निमित्त से कृष्ण की मृत्यु होने की नेमिनाथ द्वारा भविष्यवाणी सुनकर जरत्कुमार ने इसी वन का आश्रय लिया था । यहीं अपने अंत समय में बलराम और कृष्ण आये थे । कृष्ण यहाँ लेट गये थे । जरत्कुमार ने उन्हें एक मृग समझकर उन पर बाण छोड़ दिया । उसी से उनकी मृत्यु हुई । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 62. 15-61, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22. 81-84 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
एक भयंकर वन । द्वारावती नगरी के विनाश की तथा जरत्कुमार के निमित्त से कृष्ण की मृत्यु होने की नेमिनाथ द्वारा भविष्यवाणी सुनकर जरत्कुमार ने इसी वन का आश्रय लिया था । यहीं अपने अंत समय में बलराम और कृष्ण आये थे । कृष्ण यहाँ लेट गये थे । जरत्कुमार ने उन्हें एक मृग समझकर उन पर बाण छोड़ दिया । उसी से उनकी मृत्यु हुई । हरिवंशपुराण 62. 15-61, पांडवपुराण 22. 81-84