परमशुक्लध्यान: Difference between revisions
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<p> शुक्लध्यान का दूसरा भेद । यह सूक्ष्मक्रियापाति और समूच्छिन्नक्रियानिवृर्ति भेद से दो प्रकार का होता है । यह केवली स्नातक मुनि को प्राप्त होता है । <span class="GRef"> महापुराण 21. 167, 188, 194-197 </span>परमसिद्धत्व― मुक्तात्मा का एक विशिष्ट गुण । इसमें समस्त पुरुषार्थों की पूर्णता होती है । <span class="GRef"> महापुराण 42. 107 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> शुक्लध्यान का दूसरा भेद । यह सूक्ष्मक्रियापाति और समूच्छिन्नक्रियानिवृर्ति भेद से दो प्रकार का होता है । यह केवली स्नातक मुनि को प्राप्त होता है । <span class="GRef"> महापुराण 21. 167, 188, 194-197 </span>परमसिद्धत्व― मुक्तात्मा का एक विशिष्ट गुण । इसमें समस्त पुरुषार्थों की पूर्णता होती है । <span class="GRef"> महापुराण 42. 107 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
शुक्लध्यान का दूसरा भेद । यह सूक्ष्मक्रियापाति और समूच्छिन्नक्रियानिवृर्ति भेद से दो प्रकार का होता है । यह केवली स्नातक मुनि को प्राप्त होता है । महापुराण 21. 167, 188, 194-197 परमसिद्धत्व― मुक्तात्मा का एक विशिष्ट गुण । इसमें समस्त पुरुषार्थों की पूर्णता होती है । महापुराण 42. 107