दक्षिण प्रतिपत्ति: Difference between revisions
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Revision as of 23:13, 21 April 2013
आगम में आचार्य परम्परागत उपदेशों को ऋजु व सरल होने के कारण दक्षिणप्रतिपत्ति कहा गया है। धवलाकार श्रीवीरसेनस्वामी इसकी प्रधानता देते हैं। (ध.५/१,६,३७/३२,६); (ध.१/प्र.५७); (ध.२/प्र.१५)।
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