वैरकुमार: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
ParidhiSethi (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
बृहत कथा कोश/कथा नं. 12/पृष्ठ-इसके पिता सोमदत्त ने इसके गर्भ में रहने पर ही दीक्षा ले ली थी । इसकी माता इसको ध्यानस्थ अपने पति के चरणों में छोड़ गयी । तब दिवाकर नाम के विद्याधर ने इसे उठा लिया ।61। अपने मामा से विद्या प्राप्त की । एक विद्याधर कन्या से विवाह किया और अपने छोटे भाई को युद्ध में हराया ।62-63 । जिसके कारण माता रुष्ट हो गयी, तभी अपने विद्याधर पिता से अपनी कथा सुनकर पिता सोमदत्त के पास में दीक्षा ले ली ।64-65 । बौद्धों के रथ से पहले जैनों का रथ चलवाकर प्रभावना की ।69-71 । | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:45, 26 September 2022
बृहत कथा कोश/कथा नं. 12/पृष्ठ-इसके पिता सोमदत्त ने इसके गर्भ में रहने पर ही दीक्षा ले ली थी । इसकी माता इसको ध्यानस्थ अपने पति के चरणों में छोड़ गयी । तब दिवाकर नाम के विद्याधर ने इसे उठा लिया ।61। अपने मामा से विद्या प्राप्त की । एक विद्याधर कन्या से विवाह किया और अपने छोटे भाई को युद्ध में हराया ।62-63 । जिसके कारण माता रुष्ट हो गयी, तभी अपने विद्याधर पिता से अपनी कथा सुनकर पिता सोमदत्त के पास में दीक्षा ले ली ।64-65 । बौद्धों के रथ से पहले जैनों का रथ चलवाकर प्रभावना की ।69-71 ।