अतिमुक्तक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) उज्जयिनी नगरी का एक श्मशान । तीर्थंकर वर्धमान के धैर्य की परीक्षा के लिए रुद्र ने उन पर यहीं अनेक उपसर्ग किये थे किंतु वह उनको ध्यान से विचलित नहीं कर सका था । अंत में रुद्र ने वर्धमान को महति और महावीर ये दो नाम दिये और उनकी अनेक प्रकार से स्तुति की । <span class="GRef"> महापुराण 74.231-337, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 13.59-72 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) उज्जयिनी नगरी का एक श्मशान । तीर्थंकर वर्धमान के धैर्य की परीक्षा के लिए रुद्र ने उन पर यहीं अनेक उपसर्ग किये थे किंतु वह उनको ध्यान से विचलित नहीं कर सका था । अंत में रुद्र ने वर्धमान को महति और महावीर ये दो नाम दिये और उनकी अनेक प्रकार से स्तुति की । <span class="GRef"> महापुराण 74.231-337, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 13.59-72 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक मुनि । अपरनाम अतिमुक्त । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.89 </span>देखें [[ अतिमुक्त ]]</p> | <p id="2" class="HindiText">(2) एक मुनि । अपरनाम अतिमुक्त । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_1#89|हरिवंशपुराण - 1.89]] </span>देखें [[ अतिमुक्त ]]</p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
(1) उज्जयिनी नगरी का एक श्मशान । तीर्थंकर वर्धमान के धैर्य की परीक्षा के लिए रुद्र ने उन पर यहीं अनेक उपसर्ग किये थे किंतु वह उनको ध्यान से विचलित नहीं कर सका था । अंत में रुद्र ने वर्धमान को महति और महावीर ये दो नाम दिये और उनकी अनेक प्रकार से स्तुति की । महापुराण 74.231-337, वीरवर्द्धमान चरित्र 13.59-72
(2) एक मुनि । अपरनाम अतिमुक्त । हरिवंशपुराण - 1.89 देखें अतिमुक्त