अनक्षरगता भाषा: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/5/24/295/2 </span><span class="SanskritText">अनक्षरात्मको द्वींद्रियादीनामतिशयज्ञानस्वरूपप्रतिपादनहेतुः।</span> = <span class="HindiText">जिससे उनके सातिशय ज्ञान का पता चलता है ऐसे द्वि इंद्रिय आदि जीवों के शब्द <b>अनक्षरात्मक शब्द</b> हैं। | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/5/24/295/2 </span><span class="SanskritText">अनक्षरात्मको द्वींद्रियादीनामतिशयज्ञानस्वरूपप्रतिपादनहेतुः।</span> = <span class="HindiText">जिससे उनके सातिशय ज्ञान का पता चलता है ऐसे द्वि इंद्रिय आदि जीवों के शब्द <b>अनक्षरात्मक शब्द</b> हैं। <span class="GRef">( राजवार्तिक/5/24/3/485/25 )</span>। </span><br /> | ||
<span class="GRef"> धवला 13/5,5,26/221/10 </span><span class="PrakritText">तत्थ अणक्खरगया बीइंदियप्पहुडि जाव असण्णिपंचिंदियाणं मुहसमुब्भुदा बालमूअसण्णिपंचिंदियभासा च।</span> = <span class="HindiText">द्वींद्रिय से लेकर असंज्ञी पंचेंद्रिय पर्याप्त जीवों के मुख से उत्पन्न हुई भाषा तथा बालक और मूक संज्ञी पंचेंद्रिय जीवों की भाषा भी <b>अनक्षरात्मक भाषा</b> है।</span><br /> | <span class="GRef"> धवला 13/5,5,26/221/10 </span><span class="PrakritText">तत्थ अणक्खरगया बीइंदियप्पहुडि जाव असण्णिपंचिंदियाणं मुहसमुब्भुदा बालमूअसण्णिपंचिंदियभासा च।</span> = <span class="HindiText">द्वींद्रिय से लेकर असंज्ञी पंचेंद्रिय पर्याप्त जीवों के मुख से उत्पन्न हुई भाषा तथा बालक और मूक संज्ञी पंचेंद्रिय जीवों की भाषा भी <b>अनक्षरात्मक भाषा</b> है।</span><br /> | ||
<span class="GRef"> पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/79/135/7 </span><span class="SanskritText">अनक्षरात्मको द्वींद्रियादिशब्दरूपो दिव्यध्वनिरूपश्च।</span> =<span class="HindiText"> <b>अनक्षरात्मक</b> शब्द द्वींद्रियादि के शब्द रूप और दिव्यध्वनि रूप होते हैं। </span></li> | <span class="GRef"> पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/79/135/7 </span><span class="SanskritText">अनक्षरात्मको द्वींद्रियादिशब्दरूपो दिव्यध्वनिरूपश्च।</span> =<span class="HindiText"> <b>अनक्षरात्मक</b> शब्द द्वींद्रियादि के शब्द रूप और दिव्यध्वनि रूप होते हैं। </span></li> | ||
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Latest revision as of 22:15, 17 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/5/24/295/2 अनक्षरात्मको द्वींद्रियादीनामतिशयज्ञानस्वरूपप्रतिपादनहेतुः। = जिससे उनके सातिशय ज्ञान का पता चलता है ऐसे द्वि इंद्रिय आदि जीवों के शब्द अनक्षरात्मक शब्द हैं। ( राजवार्तिक/5/24/3/485/25 )।
धवला 13/5,5,26/221/10 तत्थ अणक्खरगया बीइंदियप्पहुडि जाव असण्णिपंचिंदियाणं मुहसमुब्भुदा बालमूअसण्णिपंचिंदियभासा च। = द्वींद्रिय से लेकर असंज्ञी पंचेंद्रिय पर्याप्त जीवों के मुख से उत्पन्न हुई भाषा तथा बालक और मूक संज्ञी पंचेंद्रिय जीवों की भाषा भी अनक्षरात्मक भाषा है।
पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/79/135/7 अनक्षरात्मको द्वींद्रियादिशब्दरूपो दिव्यध्वनिरूपश्च। = अनक्षरात्मक शब्द द्वींद्रियादि के शब्द रूप और दिव्यध्वनि रूप होते हैं।
देखें भाषा - 3 ।