अनायतन: Difference between revisions
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<span class="GRef">चारित्तपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 6/34 पर उद्धृत</span><p class="SanskritText"> “कुदेवगुरुशास्त्राणां तद्भक्तानां गृहे गतिः। षडनायतनमित्येवं वदंति विदितागमाः ॥1॥ प्रभाचंद्रस्त्वेवं वदति मिथ्यादर्शनज्ञानचारित्राणि त्रीणि त्रयं च तद्वंतः पुरुषाः षडनायतनानि। अथवा असर्वज्ञः 1 असर्वज्ञायतनं, 2 असर्वज्ञज्ञानं, 3 असर्वज्ञज्ञानसमवेतपुरुषः, 4 असर्वज्ञानुष्ठानं, 5 असर्वज्ञानुष्ठानसमवेतपुरुषश्चेति।</p> | |||
<p class="HindiText">= कुदेव, कुगुरु, व कुशास्त्र के तथा इन तीनों के उपासकों के घरो में आना-जाना, इनको आगमकारों ने षड्नायतन ऐसा नाम दिया है ॥1॥ प्रभाचंद्र आचार्य ऐसा कहते हैं कि - मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्र ये तीन तथा इन तीनों के धारण अर्थात् मिथ्यादृष्टि, मिथ्याज्ञानी व मिथ्या आचारवान् पुरुष, यह छह अनायतन हैं। अथवा 1 असर्वज्ञ, 2 असर्वज्ञ देव का मंदिर, 3 असर्वज्ञ ज्ञान, 4 असर्वज्ञ ज्ञान का धारक पुरुष, 5 असर्वज्ञ ज्ञान के अनुकूल आचार, 6 और उस आचार के धारक पुरुष यह छह <b>अनायतन</b> हैं।</p> | |||
<p class="HindiText">- देखें [[ आयतन ]]।</p> | |||
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<div class="HindiText"> <p> मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्र और इन तीनों के धारक मिथ्यादृष्टि, मिथ्याज्ञानी और मिथ्याचारित्री । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 6-75 </span></p> | |||
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Latest revision as of 22:08, 16 September 2023
सिद्धांतकोष से
चारित्तपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 6/34 पर उद्धृत
“कुदेवगुरुशास्त्राणां तद्भक्तानां गृहे गतिः। षडनायतनमित्येवं वदंति विदितागमाः ॥1॥ प्रभाचंद्रस्त्वेवं वदति मिथ्यादर्शनज्ञानचारित्राणि त्रीणि त्रयं च तद्वंतः पुरुषाः षडनायतनानि। अथवा असर्वज्ञः 1 असर्वज्ञायतनं, 2 असर्वज्ञज्ञानं, 3 असर्वज्ञज्ञानसमवेतपुरुषः, 4 असर्वज्ञानुष्ठानं, 5 असर्वज्ञानुष्ठानसमवेतपुरुषश्चेति।
= कुदेव, कुगुरु, व कुशास्त्र के तथा इन तीनों के उपासकों के घरो में आना-जाना, इनको आगमकारों ने षड्नायतन ऐसा नाम दिया है ॥1॥ प्रभाचंद्र आचार्य ऐसा कहते हैं कि - मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्र ये तीन तथा इन तीनों के धारण अर्थात् मिथ्यादृष्टि, मिथ्याज्ञानी व मिथ्या आचारवान् पुरुष, यह छह अनायतन हैं। अथवा 1 असर्वज्ञ, 2 असर्वज्ञ देव का मंदिर, 3 असर्वज्ञ ज्ञान, 4 असर्वज्ञ ज्ञान का धारक पुरुष, 5 असर्वज्ञ ज्ञान के अनुकूल आचार, 6 और उस आचार के धारक पुरुष यह छह अनायतन हैं।
- देखें आयतन ।
पुराणकोष से
मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्र और इन तीनों के धारक मिथ्यादृष्टि, मिथ्याज्ञानी और मिथ्याचारित्री । वीरवर्द्धमान चरित्र 6-75