यशस्विनी: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) कृष्ण की पटरानी जांबवती के पूर्वभव का जीव । जंबूद्वीप के पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी के देविल वैश्य और उसकी पत्नी देवमती की पुत्री । इसका विवाह सुमित्र के साथ हुआ था । पति के मर जाने पर दुःखपूर्वक मरण कर के यह नंदनवन में मेरुनंदना व्यंतरी हुई थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 42-46 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) कृष्ण की पटरानी जांबवती के पूर्वभव का जीव । जंबूद्वीप के पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी के देविल वैश्य और उसकी पत्नी देवमती की पुत्री । इसका विवाह सुमित्र के साथ हुआ था । पति के मर जाने पर दुःखपूर्वक मरण कर के यह नंदनवन में मेरुनंदना व्यंतरी हुई थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#42|हरिवंशपुराण - 60.42-46]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) भरतक्षेत्र में इभ्यपुर नगर के सेठ धनदेव की स्त्री । अपने पूर्वभवों का स्मरण करके इसने सुभद्र मुनि से प्रोषधव्रत लिया था । अंत में यह मरकर प्रथम स्वर्ग के इंद्र की इंद्राणी हुई । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 95-100 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) भरतक्षेत्र में इभ्यपुर नगर के सेठ धनदेव की स्त्री । अपने पूर्वभवों का स्मरण करके इसने सुभद्र मुनि से प्रोषधव्रत लिया था । अंत में यह मरकर प्रथम स्वर्ग के इंद्र की इंद्राणी हुई । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#95|हरिवंशपुराण - 60.95-100]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी−देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) कृष्ण की पटरानी जांबवती के पूर्वभव का जीव । जंबूद्वीप के पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी के देविल वैश्य और उसकी पत्नी देवमती की पुत्री । इसका विवाह सुमित्र के साथ हुआ था । पति के मर जाने पर दुःखपूर्वक मरण कर के यह नंदनवन में मेरुनंदना व्यंतरी हुई थी । हरिवंशपुराण - 60.42-46
(2) भरतक्षेत्र में इभ्यपुर नगर के सेठ धनदेव की स्त्री । अपने पूर्वभवों का स्मरण करके इसने सुभद्र मुनि से प्रोषधव्रत लिया था । अंत में यह मरकर प्रथम स्वर्ग के इंद्र की इंद्राणी हुई । हरिवंशपुराण - 60.95-100