आत्माश्रय दोष: Difference between revisions
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<span class="GRef">श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.459/पृ.555/5 </span><p class="SanskritText">स्वस्मिन् स्वापेक्षत्वमात्माश्रयत्वं। </p> | |||
<p class="HindiText">= स्वयं अपने लिए अपनी अपेक्षा बने रहना आत्माश्रय दोष है।</p> | <p class="HindiText">= स्वयं अपने लिए अपनी अपेक्षा बने रहना आत्माश्रय दोष है।</p> | ||
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Latest revision as of 11:13, 6 January 2023
श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.459/पृ.555/5
स्वस्मिन् स्वापेक्षत्वमात्माश्रयत्वं।
= स्वयं अपने लिए अपनी अपेक्षा बने रहना आत्माश्रय दोष है।