परिभोग: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> आसन आदि वे वस्तुएँ जिनका बार-बार भोग किया जाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.155 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> आसन आदि वे वस्तुएँ जिनका बार-बार भोग किया जाता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#155|हरिवंशपुराण - 58.155]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/21/361/7 परिभोगआच्छादनप्रावरणालंकारशयनासनगृहयानवाहनादि:। = ओढना-बिछाना, अलंकार, शयन, आसन, घर, यान और वाहन आदि परिभोग कहलाते हैं।
भोग संबंधित अधिक जानकारी के लिए देखें भोग ।
पुराणकोष से
आसन आदि वे वस्तुएँ जिनका बार-बार भोग किया जाता है । हरिवंशपुराण - 58.155