जघन्यशातकुंभ: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 18: | Line 18: | ||
<p> 2 1</p> | <p> 2 1</p> | ||
<p> 1 1</p> | <p> 1 1</p> | ||
<p>कुल 45 17 हरिवंशपुराण 34.77 | <p>कुल 45 17 <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.77 </span></p> | ||
Line 24: | Line 24: | ||
[[ जघन्यपात्र | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ जघन्यपात्र | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ जटाचार्य | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: ज]] | [[Category: ज]] |
Revision as of 21:41, 5 July 2020
एक व्रत । इसमें उपवास और पारणाओं का क्रम निम्न प्रकार रहता है―
उपवास पारणा
5 1
4 1
3 1
2 1
1 1
4 1
3 1
2 1
1 1
4 1
3 1
2 1
1 1
4 1
3 1
2 1
1 1
कुल 45 17 हरिवंशपुराण 34.77