रत्नपुर: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विदेहक्षेत्र का एक नगर । यहाँ विद्याघर पुष्पोत्तर रहता था । राजा विद्यांग के पुत्र | <p id="1"> (1) विदेहक्षेत्र का एक नगर । यहाँ विद्याघर पुष्पोत्तर रहता था । राजा विद्यांग के पुत्र विद्यासमुद्घात यहाँ के नृप थे । राम और लक्ष्मण के समय यहाँ राजा रत्नरथ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.7, 390, 93. 22 </span></p> | ||
<p id="2">(2) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । सुलोचना के शील का परीक्षा के लिए सौधर्म स्वर्ग से आयी देवी ने जयकुमार को अपना परिचय देते हुए स्वयं को इस नगर के राजा की पुत्री बताया था । महापुराण 47.261-262, पांडवपुराण 3. 263-264</p> | <p id="2">(2) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । सुलोचना के शील का परीक्षा के लिए सौधर्म स्वर्ग से आयी देवी ने जयकुमार को अपना परिचय देते हुए स्वयं को इस नगर के राजा की पुत्री बताया था । <span class="GRef"> महापुराण 47.261-262, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 3. 263-264 </span></p> | ||
<p id="3">(3) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ राजा मधु जन्मे थे । तीर्थंकर धर्मनाथ ने भी यहाँ जन्म लिया था । महापुराण 59. 88, 61. 13, 19, 62.328, पद्मपुराण 20. 51</p> | <p id="3">(3) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ राजा मधु जन्मे थे । तीर्थंकर धर्मनाथ ने भी यहाँ जन्म लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 59. 88, 61. 13, 19, 62.328, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 51 </span></p> | ||
<p id="4">(4) पुष्करार्द्ध द्वीप के वत्सकावती देश का एक नगर । तीसरे पूर्वभव में तीर्थंकर वासुपूज्य यहाँ के राजा थे । इस पर्याय में उनका नाम | <p id="4">(4) पुष्करार्द्ध द्वीप के वत्सकावती देश का एक नगर । तीसरे पूर्वभव में तीर्थंकर वासुपूज्य यहाँ के राजा थे । इस पर्याय में उनका नाम पद्मोत्तर था । <span class="GRef"> महापुराण 58.2-4 </span></p> | ||
<p id="5">(5) जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र का एक नगर । भद्र और धन्य दोनों भाई बैल के निमित्त से परस्पर लड़कर यहाँ मारे गये थे । महापुराण 63. 157-159</p> | <p id="5">(5) जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र का एक नगर । भद्र और धन्य दोनों भाई बैल के निमित्त से परस्पर लड़कर यहाँ मारे गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 63. 157-159 </span></p> | ||
<p id="6">(6) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का साठवाँ नगर । महापुराण 19.87 </p> | <p id="6">(6) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का साठवाँ नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19.87 </span></p> | ||
<p id="7">(7) मलयदेश का एक नगर । बलभद्र राम तीसरे पूर्वभव में इसी नगर के राजा प्रजापति के पुत्र चन्द्रचूल थे । महापुराण 67.90-91, 148-149</p> | <p id="7">(7) मलयदेश का एक नगर । बलभद्र राम तीसरे पूर्वभव में इसी नगर के राजा प्रजापति के पुत्र चन्द्रचूल थे । <span class="GRef"> महापुराण 67.90-91, 148-149 </span></p> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
(1) विदेहक्षेत्र का एक नगर । यहाँ विद्याघर पुष्पोत्तर रहता था । राजा विद्यांग के पुत्र विद्यासमुद्घात यहाँ के नृप थे । राम और लक्ष्मण के समय यहाँ राजा रत्नरथ था । पद्मपुराण 6.7, 390, 93. 22
(2) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । सुलोचना के शील का परीक्षा के लिए सौधर्म स्वर्ग से आयी देवी ने जयकुमार को अपना परिचय देते हुए स्वयं को इस नगर के राजा की पुत्री बताया था । महापुराण 47.261-262, पांडवपुराण 3. 263-264
(3) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ राजा मधु जन्मे थे । तीर्थंकर धर्मनाथ ने भी यहाँ जन्म लिया था । महापुराण 59. 88, 61. 13, 19, 62.328, पद्मपुराण 20. 51
(4) पुष्करार्द्ध द्वीप के वत्सकावती देश का एक नगर । तीसरे पूर्वभव में तीर्थंकर वासुपूज्य यहाँ के राजा थे । इस पर्याय में उनका नाम पद्मोत्तर था । महापुराण 58.2-4
(5) जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र का एक नगर । भद्र और धन्य दोनों भाई बैल के निमित्त से परस्पर लड़कर यहाँ मारे गये थे । महापुराण 63. 157-159
(6) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का साठवाँ नगर । महापुराण 19.87
(7) मलयदेश का एक नगर । बलभद्र राम तीसरे पूर्वभव में इसी नगर के राजा प्रजापति के पुत्र चन्द्रचूल थे । महापुराण 67.90-91, 148-149