चंडवेग: Difference between revisions
From जैनकोष
(No difference)
|
Revision as of 16:31, 5 July 2020
(1) भरत का दण्डरत्न । महापुराण 37.170, पांडवपुराण 7.22
(2) राजा विद्युद्वेग का पुत्र । इसकी मदनवेगा नाम की बहिन थी । मदनवेगा के पति के बारे में एक अवधिज्ञानी मुनि ने कहा था कि गंगा में विद्या सिद्ध करते हुए इसके कंधे पर जो गिरेगा यही इसका पति होगा । इसके पिता ने इसे गंगा में विद्या-सिद्धि के लिए नियोजित किया था । वसुदेव गंगास्नान के लिए आया था । वहीं संयोग से वह इसके कंधे पर गिरा । इसने उसे अनेक विद्याशस्त्र दिये थे । वसुदेव ने त्रिशिखर विद्याधर के साथ जिसने इसके पिता को बांधकर कारागृह मे डाल दिया था, युद्ध करके माहेन्द्रास्त्र के द्वारा उसका सिर काट डाला था और इसके पिता को बन्धन मुक्त कराया था तथा मदनवेगा प्राप्त की थी । हरिवंशपुराण 25.38-71