नंदी: Difference between revisions
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Revision as of 15:23, 19 August 2020
(1) वृषभदेव के अस्सीवें गणधर । महापुराण 43.66, हरिवंशपुराण 12.69
(2) आगामी प्रथम नारायण । महापुराण 76.487 हरिवंशपुराण 60.196
(3) कौशाम्बी नगरी का जिनभक्त एक सेठ । यह विभूति में राजा के समान ही था । भवदत्त मुनि ने इसका उसके योग्य सम्मान किया वहीं बैठ हुए पश्चिम नामक क्षुल्लक ने निदान किया कि अगले भव में वह इसी सेठ का पुत्र हो । इस निदान से वह इसी सेठ की इन्दुमुखी सेठानी के गर्भ से रतिवर्द्धन नामक पुत्र हुआ । पद्मपुराण 78.63-72
(4) महावीर निर्वाण के बासठ वर्ष बाद सौ वर्ष के काल में समस्त अंगों और पूर्वों के वेत्ता पाँच श्रुतकेवली मुनीश्वरों में प्रथम मुनि । महापुराण 76.519, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.43
(5) अवसर्पिणी काल के दुःषमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न शलाकापुरुष एवं छठा बलभद्र । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 111
(6) कुरुदेश के पलाशकूट ग्राम के निवासी सोमशर्मा ब्राह्मण का पुत्र । यह अपने मामा की पुत्रियों का इच्छुक था किन्तु उनके न मिलने से तथा लोगों के उपहास करने से मरने के लिए तत्पर हो गया था । इसे शंख और निर्नामिक मुनियों ने समझाकर तप ग्रहण कराया था । तप के प्रभाव से यह मरकर महाशुक्र स्वर्ग में देव हुआ तथा वहाँ से चयकर वसुदेव हुआ । महापुराण 70. 200-211 दे नन्दिषेण ।
(7) नन्दीश्वर द्वीप का एक देव । हरिवंशपुराण 5.644