अणंतरोपनिधा: Difference between revisions
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<p class="SanskritText">धवला पुस्तक 11/4,2,6,252/352/12 जत्थ णिरं तरं थोवबहुत्तपरिक्खा कीरदे सा अणंतरोवणिधा। </p> | <p class="SanskritText">धवला पुस्तक 11/4,2,6,252/352/12 जत्थ णिरं तरं थोवबहुत्तपरिक्खा कीरदे सा अणंतरोवणिधा। </p> | ||
<p class="HindiText">= जहाँ पर | <p class="HindiText">= जहाँ पर निरंतर अल्प बहुत्व की परीक्षा की जाती है, वह अनंतरोपनिधा कही जाती है।</p> | ||
Revision as of 16:16, 19 August 2020
धवला पुस्तक 11/4,2,6,252/352/12 जत्थ णिरं तरं थोवबहुत्तपरिक्खा कीरदे सा अणंतरोवणिधा।
= जहाँ पर निरंतर अल्प बहुत्व की परीक्षा की जाती है, वह अनंतरोपनिधा कही जाती है।