नंदक: Difference between revisions
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<p id="1">(1) | <p id="1">(1) तिलकानंद मुनि के साथ-साथ वनविहारी मासोपवासी मुनि । इन्होंने वन में ही आहार लेने का नियम किया था । कुमार लोहजंघ ने इ-हे वन में ही आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । आहार-स्थल देवावतार तीर्थ के रूप मे प्रसिद्ध हुआ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50. 58-59 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक खड्ग । कुबेर ने द्वारिका की रचना करके यह आयुध कृष्ण को भेंट किया था । इसी नाम का खड्ग प्रद्युम्न को भी सहस्रवक्त्र नामक नागकुमार से प्राप्त हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 72.115-116, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 41.34-35, 43, 67 </span></p> | <p id="2">(2) एक खड्ग । कुबेर ने द्वारिका की रचना करके यह आयुध कृष्ण को भेंट किया था । इसी नाम का खड्ग प्रद्युम्न को भी सहस्रवक्त्र नामक नागकुमार से प्राप्त हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 72.115-116, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 41.34-35, 43, 67 </span></p> | ||
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Revision as of 16:27, 19 August 2020
(1) तिलकानंद मुनि के साथ-साथ वनविहारी मासोपवासी मुनि । इन्होंने वन में ही आहार लेने का नियम किया था । कुमार लोहजंघ ने इ-हे वन में ही आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । आहार-स्थल देवावतार तीर्थ के रूप मे प्रसिद्ध हुआ । हरिवंशपुराण 50. 58-59
(2) एक खड्ग । कुबेर ने द्वारिका की रचना करके यह आयुध कृष्ण को भेंट किया था । इसी नाम का खड्ग प्रद्युम्न को भी सहस्रवक्त्र नामक नागकुमार से प्राप्त हुआ था । महापुराण 72.115-116, हरिवंशपुराण 41.34-35, 43, 67