भाव सिंह: Difference between revisions
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Revision as of 14:11, 20 September 2022
जीवराजजी व भावसिंह दोनों सहयोगी थे। पुण्यास्रव कथाकोष की रचना करते हुए अधूरा छोड़कर ही स्वर्ग सिधार गये। शेष भाग वि. 1792 में जीवराजजी ने पूरा किया था। समय–1792 (हिं. जैन साहित्य इतिहास इ./178 कामता)।